उत्तराखंड ने खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, जहां अप्रैल से नवंबर 2024 तक राजस्व बढ़कर 650 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 324.81 करोड़ रुपये की तुलना में 100 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन के अनुरूप चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अर्जित किया 650 करोड़ रुपये का राजस्व
बयान में कहा गया कि अप्रैल से नवंबर 2024 तक राज्य ने 650 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष के 324.81 करोड़ रुपये से 100 प्रतिशत अधिक है। पिछले तीन वर्षों में भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने पारदर्शिता के साथ कार्य करते हुए अनेक नीतिगत सुधार किए हैं। इनमें ई-टेंडरिंग प्रक्रिया, ई-रवन्ना पोर्टल अपग्रेडेशन और अवैध खनन को रोकने के लिए प्रभावी प्रवर्तन शामिल हैं।
इन प्रयासों ने राज्य के खनन राजस्व को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। वर्ष 2023-24 में राज्य ने 875 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 645.42 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो 2022-23 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक था। वहीं, 2024-25 के पहले 8 महीनों में यह राजस्व 100 प्रतिशत बढ़ा है।
खनन क्षेत्र में उपयोग किये आधुनिक तकनीक
राज्य सरकार ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके खनन क्षेत्र को पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए कदम उठाए हैं। माइनिंग डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एंड सर्विलांस सिस्टम के तहत 45 माइन चेक गेट लगाए जा रहे हैं। आईटीआई लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं और योजना तेजी से आगे बढ़ रही है।
अवैध खनन की रोकथाम के लिए की जा रही निगरानी
अवैध खनन एवं परिवहन की प्रभावी रोकथाम के लिए ई-रवन्ना पोर्टल की समय-समय पर निगरानी की जा रही है। राज्य के चार प्रमुख जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में ई-टेंडरिंग के माध्यम से खनिज लाट आवंटित किए गए हैं।
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ये कदम राजस्व बढ़ाने में मददगार साबित हुए हैं। खनन राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने नीतिगत सुधारों के साथ-साथ सरलीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया है। उत्तराखंड उप खनिज परिहार नियमावली एवं स्टोन क्रशर नीति में संशोधन कर खनिज संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया गया है।