संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हैदराबाद में एक शैक्षणिक संस्थान में एक कार्यक्रम को किया संबोधित
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की रैलियों में विपक्ष के नेता बार-बार कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संविधान बदल कर देश के दलितों, पिछड़ों एवं आदिवासियों का आरक्षण छीनना चाहती है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि संघ परिवार ने कुछ समूहों को आरक्षण देने का कभी विरोध नहीं किया है।
हैदराबाद में एक शैक्षणिक संस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि संघ का मानना है कि आरक्षण तब तक दिया जाना चाहिए जब तक कि इसकी जरूरत है। आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच जुबानी हमले जारी हैं। मोहन भागवत इससे पहले भी आरक्षण का समर्थन कर चुके हैं। आरएसएस प्रमुख भागवत ने पिछले साल नागपुर में कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भेदभाव समाज में व्याप्त है, भले ही यह दिखायी नहीं देता हो।
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी रैलियों में बार-बार दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मकसद संविधान बदल कर देश का लोकतंत्र तबाह करने और दलितों, पिछड़ों एवं आदिवासियों का आरक्षण छीन कर देश चलाने में उनकी भागीदारी खत्म करने का है।
कांग्रेस और उसके शीर्ष नेता इस लोकसभा चुनाव में लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने के प्रयास में है। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने हाल में कई चुनावी जनसभाओं में आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस एससी, एसटी एवं ओबीसी के आरक्षण को मुस्लिम समुदाय को देना चाहती है।
बीजेपी भी इन आरोपों पर हमलावर है और खुद प्रधानमंत्री मोदी अपनी हर चुनावी रैली में इसका जवाब दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुष्टीकरण की राजनीति को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के गठबंधन का आधार बताते हुए कहा कि इस गठबंधन के नेता धर्म आधारित आरक्षण देने के मकसद से संविधान बदलने के लिये वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के उलट भाजपा राज्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) का आरक्षण लूटने के उनके मंसूबे पर ‘ताला’ लगाने के लिये 400 सीटें मांग रही है।