भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अब रूस-यूक्रेन के विवाद पर अपनी बात रखी है। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर पर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि यूकेन -रूस विवाद के बाद दुनियाभर में खाद्यान्न की मांग बढ़ना और भारत का रिकॉर्ड निर्यात करना देश के किसानों के लिए बेहतर अवसर है।
किसानों को तभी फायदा मिलेगा, जब केंद्र एमएसपी से ऊंचे दाम निर्धारित कर किसानों की फसल खरीदे। इस बार सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये घोषित किया गया है लेकिन बाहर मांग बढ़ने से खुले बाजार में गेहूं का मूल्य बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि खुले बाजार में अधिक कीमत मिलने से सरकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद प्रभावित हो सकती है।
मालूम हो कि राकेश टिकैत किसान आंदोलन के समय से ही किसानों के लिए एमएसपी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं और वो आज भी समय-समय पर अपनी इस मांग को दोहराते रहते हैं। इससे पहले भी उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कमेटी गठन के नाम पर छल करने का काम कर रही। एसकेएम से 3 नाम लेकर कमेटी का स्वरूप और योजना भी नहीं बताना चाहती। इस धोखे का जवाब फिर से देशभर में किसानों का आंदोलन कर दिया जाएगा।
रूस-यूक्रेन में युद्ध को चलते डेढ़ महीने से ज्यादा का समय हो गया है। अभी भी लड़ाई जारी है और कोई हल नहीं निकलता नहीं दिख रहा है। रूस के हमले के बाद पैदा हुए यूक्रेन संकट ने भारत के गेहूं की मांग विदेश में बढ़ा दी है। इसका असर गोरखपुर व आसपास के जिलों पर भी पड़ा है। पिछले तीन महीने से गोरखपुर, बस्ती व देवीपाटन मंडल से भारी मात्रा में गेहूं व मैदा यूरोपीय, अफ्रीकी एवं अन्य देशों में भेजा जा रहा है।
इस क्षेत्र से फ्लोर मिल संचालक व व्यापारी स्वयं निर्यात करने की बजाय बड़े निर्यातकों के माध्यम से गेहूं व मैदा बाहर भेज रहे हैं। यूक्रेन संकट से पहले जहां हर महीने पांच से सात रेक गेहूं बाहर भेजा जाता था वहीं अब 80 से 120 रैक गेहूं व मैदा बाहर जा रहा है। मांग और है लेकिन उद्यमियों व व्यापारियों की मानें तो रेलवे अभी इतने ही रैक उपलब्ध करा पा रहा है। एक रेक में करीब 2650 टन गेहूं लोड होता है।
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यूक्रेन संकट से पहले हर महीने पांच से सात रेक गेहूं ही भेजा जाता था बाहर
यूपी के गोरखपुर एवं आसपास के जिलों में संचालित फ्लोर मिलों के पास स्थानीय बाजार के साथ-साथ विदेश से भी मांग आ रही है। मैदा के साथ फ्लोर मिल संचालक गेहूं भी बाहर भेज रहे हैं। यहां के उद्यमियों एवं व्यापारियों ने निर्यातकों से संपर्क किया है। ट्रकों से लदकर गेहूं आसपास के लोडिंग प्वाइंट तक ले जाया जा रहा है। वहां से रेक में लोड कर गेहूं को मुंबई एवं अन्य बड़े शहरों के पोर्ट भेजा जा रहा है। यूरोपीय एवं अफ्रीकी देशों के अलावा यह गेहूं यमन, कोरिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, वियतनाम, यूएई आदि देशों को भी भेजा जा रहा है।