उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली 14 दलों की याचिका पर बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि किसी खास मामले के तथ्यों के बिना आम दिशा-निर्देश तय करना संभव नहीं है. बाद में शीर्ष न्यायालय ने अभिषेक मनु सिंघवी को विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर 14 राजनीतिक दलों की याचिका को वापस लेने की अनुमति दी.
विपक्ष की ओर पेश वकील सिंघवी ने दलील दी कि 2014 से 2022 तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की, जिनमें से 95% विपक्ष से हैं. इसी तरह से, सीबीआई के मामले में 124 नेताओं की जांच हुई, जिनमें 108 विपक्ष से हैं. इसपर सीजेआई ने कहा, ‘यह एक या दो पीड़ित व्यक्तियों की दलील नहीं है… यह 14 राजनीतिक दलों की दलील है… क्या हम कुछ आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं कि जांच से छूट होनी चाहिए?’
सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘आपके आंकड़े अपनी जगह सही हैं, लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार है! आखिर राजनेता भी देश के नागरिक ही हैं.’ इसके बाद सिंघवी ने कहा, ‘मैं भावी दिशा-निर्देश मांग रहा हूं… यह कोई जनहित याचिका नहीं है, बल्कि 14 राजनीतिक दल 42 प्रतिशत मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और यदि वे प्रभावित होते हैं, तो लोग प्रभावित होते हैं…’
इसपर पीठ ने कहा, ‘राजनेताओं के पास कोई विशेषधिकार नहीं है. उनके भी अधिकार आम आदमी की तरह ही हैं. राजनेता कानून से ऊपर नहीं हैं, कानून सभी के लिए बराबर है.’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या हम सामान्य केस में ये कह सकते है कि अगर जांच से भागने/दूसरी शर्तों के हनन की आशंका न हो, तो किसी शख्स की गिरफ्तारी न हो. अगर हम दूसरे मामलों में ऐसा नहीं कह सकते, तो फिर राजनेताओं के केस में कैसे कह सकते हैं.’
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अंत में याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाले राजनीतिक दलों से कहा, ‘जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला हो या कई मामले हों तो हमारे पास वापस आएं.’