उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में पांच पुलिसकर्मियों पर एक ग्रामीण के खिलाफ कथित तौर पर पिस्तौल रखने के बाद आर्म्स एक्ट के तहत फर्जी मामला दर्ज करने का आरोप लगा है। इन पांच पुलिसकर्मियों में एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर और तीन कांस्टेबलों शामिल हैं। इन पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस ने अदालत में उसके खिलाफ झूठे सबूत पेश किए, जिसकी वजह से ग्रामीण को जेल भेज दिया गया था।
डीसीपी ने कहा- जांच में पुलिसकर्मियों को पाया गया दोषी
फर्रुखाबाद के डीसीपी राजेश कुमार देवेदी ने सोमवार को कहा कि आंतरिक जांच में पांच पुलिसकर्मियों को एक निर्दोष व्यक्ति को झूठे मामले में फंसाने का दोषी पाया गया। रविवार शाम को उनके खिलाफ बीएनएस धारा 229 (1) (न्यायिक कार्यवाही के किसी भी चरण में झूठे सबूत पेश करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
पुलिसकर्मियों ने पीड़ित के खिलाफ दर्ज किया था झूठा केस
देवेदी ने बताया कि 19 अगस्त 2024 को आरोपी पुलिसकर्मियों – तत्कालीन मोहम्मदाबाद एसएचओ मनोज कुमार भाटी, एसआई महेंद्र सिंह, कांस्टेबल अंशुमान चाहर, राजनपाल और यशवीर सिंह – ने पिपरगांव निवासी नंद कुमार उर्फ ‘नंदू’ को ‘तमंचा बरामद’ के तौर पर कोर्ट में पेश किया और जेल भेज दिया।
बाद में नंदू के भाई कृष्ण कुमार की शिकायत पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने मामले की गहन जांच के आदेश दिए। जांच तत्कालीन सर्किल ऑफिसर (सीओ) अरुण कुमार ने की थी।
पीड़ित को दूकान से लेकर गया था आरोपी कांस्टेबल
पता चला कि 18 अगस्त को दोपहर करीब 3 बजे कांस्टेबल यशवीर नंदू को उसकी बाइक ठीक करवाने के बहाने उसकी दुकान से लेकर आया था। लेकिन नंदू को पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया और अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया।
सीओ की जांच में सामने आया सच
जब सीओ अरुण कुमार ने कांस्टेबलों के मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड हासिल किए, तो पता चला कि उनके और पिपरगांव के दो लोगों और एक अन्य युवक के बीच कई कॉल का आदान-प्रदान हुआ था। पीड़ित ने इन्हीं लोगों पर पुलिस के साथ मिलकर उसे झूठे मामले में फंसाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
पुलिस ने बनाई थी मुठभेड़ करने की योजना
अपनी शिकायत में पीड़ित के भाई ने आरोप लगाया कि आरोपी पुलिस वाले नंदू को नदी किनारे ले गए और उसे पिस्तौल थमा दी और फिर उसे भागने को कहा। कृष्ण कुमार ने पुलिस शिकायत में आरोप लगाया कि वे मुठभेड़ करने की योजना बना रहे थे।
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कृष्ण कुमार ने कहा कि कोई और विकल्प न होने पर नंदू भाग गया और पुलिस वालों ने उसका पीछा किया। उन्होंने आर्म्स एक्ट के तहत एक फर्जी मामला स्थापित करने के लिए इसका एक वीडियो भी बनाया। आरोपी पुलिस वालों ने गांव के प्रधान और एक अन्य स्थानीय निवासी के साथ मिलकर मेरे भाई को निशाना बनाया।