गौरीशंकर मंदिर

मुरादाबाद में खुला 44 साल ने बंद पड़ा शिव मंदिर, सामने आई 1980 में हुए नरसंहार की कहानी

संभल, काशी और कानपुर के बाद 44 साल से बंद मुरादाबाद का गौरीशंकर मंदिर 30 दिसंबर 2024 को फिर खुल गया। सोमवार को खुदाई के दौरान सरकार को शिवलिंग, नंदी और हनुमानजी की खंडित मूर्तियां मिलीं। पता चला है कि 1980 के दंगों के दौरान मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गई थी। मुस्लिम भीड़ ने मूर्तियों को तोड़ दिया था। इसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया था।

बताया जा रहा है कि 1980 में, मुरादाबाद में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें कम से कम 83 लोग मारे गए थे और 112 अन्य घायल हो गए थे।

मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों ने कलेक्ट्रेट के सामने किया था प्रदर्शन

सात दिन पहले मृतक पुजारी के पोते ने गौरीशंकर मंदिर को फिर से खोलने के लिए मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह को आवेदन दिया था। स्थानीय लोगों ने कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन भी किया था और मंदिर को फिर से खोलने और जीर्णोद्धार की मांग की थी।

पुलिस और प्रशासन की टीम ने पहले नागफनी क्षेत्र में मुस्लिम बहुल झब्बू का नाला मोहल्ले का दौरा किया था, जहां बाद में मंदिर पाया गया था।

डीएम ने उप जिलाधिकारी से मांगी रिपोर्ट

इसके बाद डीएम अनुज ने उप जिलाधिकारी राम मोहन मीना से मंदिर के संबंध में रिपोर्ट मांगी। 27 दिसंबर को उप जिलाधिकारी ने मंदिर से जुड़े लोगों से जानकारी जुटाई। पता चला कि मोहिनी नाम की एक ट्रांसजेंडर मंदिर की साफ-सफाई करती थी। सामने आया कि कुछ दीवारें अवैध रूप से बनाई गई हैं जिससे मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।

गौरीशंकर मंदिर के गर्भगृह को दीवार बनाकर बंद कर दिया गया

1980 में हुए दंगों के बाद गौरीशंकर मंदिर के गर्भगृह को दीवार बनाकर बंद कर दिया गया था। सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच इन दीवारों को गिरा दिया गया, जिससे मंदिर का असली स्वरूप सामने आ गया।

सोमवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे मंदिर की दीवार पर हनुमान जी की प्रतिमा दिखाई देने लगी। जमीन पर शिवलिंग के लिए जगह है, लेकिन शिवलिंग गायब है, जबकि पास में ही नंदी स्थापित है। दीवार पर कुछ और प्रतिमाएं उभरी हैं, लेकिन वे खंडित हैं। प्रशासन के अनुसार अब प्रतिमाओं को यहीं सुरक्षित रखा जाएगा और उनकी पूजा-अर्चना की व्यवस्था की जाएगी।

1980 में हुए दंगों में कर दी गई थी पुजारी की हत्या

सेवा राम के अनुसार उनके परदादा भीमसेन गौरीशंकर मंदिर की देखभाल करते थे और पूजा-अर्चना भी करते थे। लेकिन 1980 के दंगों में कथित तौर पर मुस्लिम भीड़ ने भीमसेन की हत्या कर दी और उनका शव भी नहीं मिला। कहा जाता है कि पुजारी भीमसेन की हत्या करने के बाद उन्मादी भीड़ ने उनके शव को आग में फेंक दिया था।

यह भी पढ़ें: संभल हिंसा मामले में चला यूपी पुलिस का चाबुक, अब तक 50 गिरफ्तार, 91 की तलाश जारी

धीरे धीरे गायब हो गई मंदिर की मूर्तियां

इस घटना के बाद भीमसेन का बाकी परिवार लाइनपार इलाके में जाकर बस गया। इसके बाद गौरीशंकर मंदिर भी बंद कर दिया गया और धीरे-धीरे मंदिर की मूर्तियां भी गायब हो गईं। सेवाराम ने डीएम से शिकायत की है कि जब भी वह इस मंदिर को खोलने जाता है तो मुस्लिम उसे मंदिर के दरवाजे नहीं खोलने देते। साथ ही उसे धमकी दी जाती है कि अगर उसने दरवाजा खोला तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।