उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रामसनेही घाट तहसील परिसर स्थित बनी मस्जिद को जिला प्रशासन ने ढहा दिया था। इसको लेकर मुस्लिम समुदाय ने कड़ा विरोध किया था। अब इसी मामले में एक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल द्वारा एक डॉक्यूमेंट्री बनाए जाने का जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। ऑनलाइन समाचार पोर्टल और उसके पत्रकारों के खिलाफ एक वीडियो साझा करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। जिला प्रशासन ने पोर्टल और उसके पत्रकारों पर समाज में सांप्रदायिक वैमनस्यता, गलत सूचना और नफरत फैलाने का आरोप लगाया है।
मस्जिद के अवैध निर्माण को जिला प्रशासन ने ढहा दिया था
जिला प्रशासन ने बीते 17 मई की शाम मस्जिद को अवैध निर्माण बताते हुए ढहा दिया था। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जिला प्रशासन का कड़ा विरोध किया था। इसी को लेकर एक समाचार पोर्टल के पत्रकारों ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर वायरल कर दिया था। इसी मामले में यहां के सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दंगा भड़काने और पत्रकारिता की आड़ में फर्जी वीडियो चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
सांसद ने शासन को भेजे गए पत्र में लिखा है कि करीब डेढ़ महीने पहले रामसनेही घाट में जिला प्रशासन द्वारा नियम के मुताबिक कार्रवाई की गई थी। जिसमें योजनाबद्ध तरीके से हमला किया गया था। उस समय एसडीएम, कोतवाल और प्रशासन की सूझबूझ से बड़ा दंगा भड़कने से बचा लिया गया। लेकिन ऑनलाइन न्यूज पोर्टल के संचालकों ने दंगा भड़काने वाला वीडियो बनाकर उसे चलाया, जिससे माहौल फिर से खराब हो सकता है।
जिलाधिकारी डॉ आदर्श सिंह ने बताया कि ऑनलाइन पोर्टल द वायर ने 23 जून को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर 39 सेकेंड की एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री पोस्ट की थी। वीडियो एक ढांचे को गिराने के मुद्दे पर था, जिसके बारे में पुलिस और तहसील प्रशासन ने दावा किया था कि यह अवैध है।
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जिलाधिकारी ने बताया कि वीडियो की सामग्री गढ़ी गई है और जान-बूझकर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए ऐसा किया गया है। द वायर के पत्रकार सिराज अली, मोहम्मद अनीस, मुकुल एस चौहान और मोहम्मद नईम के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।