बांग्लादेश के ढाका में मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल नामक संगठन ने बंगशाल इलाके में एक रैली निकाली जिसमें उन रेस्तराओं का बहिष्कार करने की मांग की गई जो गोमांस नहीं परोसते। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सभी रेस्तराओं के मेनू में गोमांस के व्यंजन अनिवार्य होने चाहिए और जो रेस्तराँ ऐसा करने में विफल रहते हैं उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि जो रेस्तरां गोमांस नहीं परोसते, वे इस्लामी विचारधारा के विरुद्ध हैं।
गोमांस इस्लामी पहचान का प्रतीक
मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल के संयोजक मुहम्मद आरिफ अल खबीर ने कहा कि गोमांस इस्लामी पहचान का प्रतीक है और जिन पश्चिमी देशों के रेस्तरां में हलाल भोजन उपलब्ध नहीं है, वे दोहरा मापदंड अपना रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारी पुराने ढाका के बंगशाल इलाके में होटल अल रज्जाक के सामने इकट्ठा हुए और नारे लगाए।
इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा दिखाना ज़रूरी
मुहम्मद आरिफ अल ख़बीर ने कुरान की सूरह अल-बकराह की आयत 208 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ऊँट का मांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए ऊँट खाना एक कर्तव्य बन गया है क्योंकि उन्हें यहूदी आहार नियमों से ऊपर इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा स्थापित करनी थी। इसी तरह, गोमांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए हिंदू मान्यताओं से ऊपर इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा दिखाना ज़रूरी है।
मुसलमानों को अलग-थलग करना चाहते हैं पश्चिमी देश
आरिफ अल खबीर ने यह भी कहा कि पश्चिमी देशों को भी अपने रेस्तराँ में हलाल खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए क्योंकि वे मुसलमानों को अलग-थलग करना चाहते हैं। पश्चिमी देशों में यहूदी और ईसाई अपने रेस्तराँ में हलाल खाद्य पदार्थ नहीं रखते हैं, क्योंकि वे मुसलमानों को शामिल नहीं करना चाहते हैं। मुसलमानों के पास अपने अलग हलाल भोजनालय खोलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
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सभी रेस्टोरेंट अपनी डिश में शामिल करें बीफ
आरिफ अल खबीर ने कहा कि सभी रेस्टोरेंट को अपने मेन्यू में कम से कम एक बीफ डिश शामिल करके मुसलमानों के प्रति अपना समर्थन घोषित करना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो वे निश्चित रूप से भारत और हिंदुत्व के एजेंट हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें देश भर में बहिष्कार का सामना करना चाहिए।