भारत कई असमानताओं वाला देश है. देश के शहरी इलाकों में जहां बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं तक ठीक से उपलब्ध नहीं हैं. देश के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में समय पर इलाज और दवा नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों की असमय मौत हो जाती है. ऐसे में उन तक तेजी से दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना बहुत जरूरी हो जाता है. इस कमी को ड्रोन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में हो रहा है.
यहां के दूर-दराज के इलाकों में दवाएं और मेडिकल हेल्प पहुंचाने के लिए ड्रोन का बहुत ही बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. ‘मेडिसिन फ्रॉम द स्काई’ पहल के जरिए यहां हजारों लोगों की जान बच रही है और जैसे-जैसे यह सुविधा आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे अन्य लाखों-करोड़ों लोगों की जान बचाने में भी मदद मिलेगी.
मेघालय के बाद अब अरुणाचल प्रदेश में भी ड्रोन आधारित सेवाएं शुरू की गई हैं. अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन सेवाएं पहाड़ी और दूर-दराज के इलाकों में दवाएं और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए शुरू की गई हैं, ताकि समय और लागत की बचत हो सके. गुरुग्राम स्थित ‘टेकईगल’ ने ड्रोन-आधारित सेवाओं को विकसित किया है. इसे अरुणाचल प्रदेश सरकार और विश्व आर्थिक मंच के सहयोग से लॉन्च किया गया है.
लोअर सुबनसिरी जिले के दूरदराज के क्षेत्रों के लिए ‘मेडिसिन फ्रॉम द स्काई’ को सक्षम करने के लिए संचालन शुरू कर दिया गया है. इस प्रोजेक्ट को अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अलो लिबांग ने हरी झंडी दिखाई. अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन ने जीरो वैली से उड़ान भरी और महज 21 मिनट में 31 किमी की हवाई दूरी तय कर कार्गो (मेडिसिन) को चंम्बग पहुंचाया.
ड्रोन ने 1.5 किलोग्राम के पेलोड के साथ जीरो वैली से उड़ान भरी, जिसमें डायक्लोफेनाक टैबलेट और एड्रेनालाईन इंजेक्शन थे. चंम्बग से अपनी वापसी की उड़ान पर ड्रोन ने टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल भी लिए. रिपोर्ट के अनुसार, जीरो वैली से चंम्बग के बीच वाहन से रोड के द्वारा यात्रा करने पर करीब आठ घंटे का वक्त लगता है. लेकिन ड्रोन ने इस दूरी को केवल 21 मिनट में तय किया है. एक बयान में कहा गया है ‘टेकईगल’ के स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन वितरण समाधान ने जमीनी परिवहन की तुलना में वस्तुओं को लगभग 24 गुना तेजी से पहुंचाया है.
यह भी पढ़ें: क्या है एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन (E2EE) और ये क्यों है जरूरी?
टेकईगल के सीओओ और सह-संस्थापक अंशु अभिषेक ने कहा कि टेकईगल में ‘मेडिसिन्स फ्रॉम द स्काई’ पहल कुछ ऐसी है जो लोगों के दिलों के बहुत करीब है, क्योंकि यह पहल हमारे द्वारा बनाए जा रहे समाधान द्वारा अरबों जीवन को बचाने और बेहतर बनाने की है.