आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के कुल टीबी(क्षय रोग) रोगियों में 27 प्रतिशत मरीज भारत में हैं जबकि इसमें से 20 प्रतिशत कुल मरीज़ उत्तर प्रदेश में हैं। टीबी रोग स्वास्थ्य की एक गंभीर समस्या है। तीन सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है। छाती में दर्द, वजन का घटना, भूख में कमी, बलगम के साथ खून आना, फेफड़ों का इन्फेक्शन बहुत ज्यादा होना, सांस लेने में दिक्कत इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। अगर किसी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण हैं तो वह तत्काल अपने बलगम की जांच कराए।
उत्तर प्रदेश सरकार, टीबीके मरीजों को सही व पूर्ण उपचार देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम में निजी क्षेत्र के चिकित्सको का भी पूरा सहयोग लिया जा रहा है। निजी क्षेत्र के चिकित्सक भी टीबीके मरीजों को चिन्हित कर उन्हें नोटिफाई कर रहें हैं। टीबी के मरीजों के उपचार के लिए जो भी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जा रही हैं वह सारी सुविधाएं निजी चिकित्सकों द्वारा उपचार प्राप्त कर रहे मरीजों को भी दी जा रहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों व निजी चिकित्सकों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। निजी चिकित्सकों द्वारा सरकार की आइआरएल लैब व मरीजों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं का यथोचित लाभ लिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार की राज्य कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) 2020-21 में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में निजी क्षेत्र के प्रदाताओं के साथ मिलकर पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) के माध्यम से टीबी उन्मूलन के लिए कार्य करने हेतु 24 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की गयी है।
पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) एक मॉडल है जिसके तहत एक तृतीय-पक्ष एजेंसी/ग़ैर सरकारी संगठन का चयन एक राज्य/ शहर / जिलाराष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम(एनटीईपी) इकाई द्वारा किया जाता है, जिसके अंतर्गत निजी क्षेत्र के डॉक्टरों द्वारा टीबी के रोगियों की अधिसूचना दर्ज करने एवं उनके इलाज का सम्पूर्ण प्रबंधन किया जाता है।
पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) मॉडल को उत्तर प्रदेश में सुचारू रूप से शुरू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध थी मगर कोविड -19 के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई। हाल ही में, राज्य सरकार ने पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) हेतु निविदाएँ आमंत्रित की थी और इस हेतु संस्था के चयन की प्रक्रिया शरू हो चुकी है। अब इस मॉडल के अंतर्गत कई जनपदों में गतिविधियाँ त्वरित रूप से संचालित होगी।
निजी क्षेत्र के जुड़ाव का पैमाना टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) के अंतर्गतटीबी उन्मूलन प्रयासों के लिए निजी चिकित्सकों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। क्योंकि अभी भी, देश में लगभग 60% टीबी रोगियों के लिए निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता ही पहला संपर्क सूत्र हैं।
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पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) मॉडलके बारे में बात करते हुए टीबी उन्मूलन हेतु नेशनल टास्क फ़ोर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि“टीबी उन्मूलन के लिए निजी क्षेत्र के प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स की सक्रिय सहभागिता बहुत ज़रूरी है। इससे टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन में, उनके सम्पूर्ण उपचार में बहुत सहयोग मिल रहा है। इसके साथ ही, सरकार और प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स के अलावा, सामुदायिक सहभागिता भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बिना कोई भी कार्यक्रम पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकता“ उन्होंने प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स से अपील की, कि वे टीबी मरोजों के पंजीकरण एवं सम्पूर्ण इलाज को अधिकतम रूप से सुनिश्चित करवाएं।