बालासोर हादसे में पश्चिम बंगाल के कई लोगों की मौत हुई, जिस पर ममता सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 2-2 लाख मुआवजे का ऐलान किया था। हालांकि मुआवजे में बांटे गए 2000 के नोट को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने इसे ममता सरकार की संवेदनहीनता करार दिया।

बीजेपी नेता सुकांत मजुमदार ने दावा किया कि ममता बनर्जी सरकार हादसे के पीड़ितों को मुआवजे में दो हजार के नोट दे रही, जबकि कुछ वक्त पहले ही इसे आरबीआई ने चलन से बाहर करने का आदेश जारी किया था। उन्होंने इसका एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें दो महिलाएं 2000 के नोट के साथ दिख रहीं।
वीडियो के साथ उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्य के एक मंत्री पीड़ित परिवारों को तृणमूल पार्टी की ओर से 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे रहे हैं। मैं इस मदद की सराहना करता हूं, लेकिन मैं ये सवाल भी पूछ रहा हूं कि इस 2000 रुपये के नोटों के बंडल का स्रोत क्या है?
उन्होंने आगे लिखा कि वर्तमान में बाजार में 2000 रुपये के नोटों की आपूर्ति कम है और इन्हें बैंकों के माध्यम से बदलने की प्रक्रिया चल रही। ऐसे में इस नोट से गरीब परिवारों की परेशानी बढ़ेगी। इसके अलावा क्या ये काले धन को सफेद बनाने का तरीका नहीं है?
टीएमसी ने क्या कहा?
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने बीजेपी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि क्या 2000 का नोट मान्य नहीं है? बीजेपी सरकार ही उसको लेकर आई थी। उसके ये आरोप निराधार हैं। आज अगर कोई किसी को 2000 का नोट देता है, तो ये अवैध या काला धन नहीं है।
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आरबीआई ने क्या कहा था?
आरबीआई के मुताबिक दो हजार के नोट अब बैंक किसी को जारी नहीं करेंगे। अगर वो जनता के पास है, तो उसे 30 सितंबर तक बैंक में जमा करवाना होगा। आरबीआई ने इस आदेश के साथ ही साफ किया था कि 2000 के नोट वैध मुद्रा हैं।
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