मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: क्या सपा और कांग्रेस के बीच होगा गठबंधन? शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत जारी, जल्द हो सकता है एलान

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना मजबूती से दिख रही है। दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बात चल जारी है। आधिकारिक घोषणा होने के बाद दोनों पार्टियों के प्रमुख नेता मंच भी शेयर करेंगे।

मध्य प्रदेश में 25 से 30 सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। हालांकि, लगभग 50 सीटों पर इनकी ठीक-ठाक संख्या है। वहां मुस्लिमों का रुझान कांग्रेस के प्रति ज्यादा है, पर यादव मतदाताओं पर बीजेपी की पकड़ अच्छी मानी जाती है। मध्य प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पूरी मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति बनाकर तैयार की है। इसके अंतर्गत वोट जोड़ने वाले अन्य दलों को अपने साथ लाने की उसकी योजना है। यूं तो मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी का कोई भी बड़ा जनाधार नहीं है, लेकिन यादव कई सीटों पर उसका पहले से ही अच्छी पहुंच रही है।

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने बिजावर सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। जानकारी के मुताबिक, इन 6 सीटों के अलावा 4 अन्य सीटें सपा गठबंधन के अंतर्गत मांग रही है।

साल 2018 के चुनाव में सपा ने कुछ सीटों पर किया था शानदार प्रदर्शन
समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों के मुताबिक साल 2018 के चुनाव में सपा के शानदार प्रदर्शन वाली सीटों को देने में कांग्रेस को कोई मुश्किल भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पिछले चुनाव में इन सीटों पर बड़ा मुकाबला सपा व बीजेपी के बीच रहा था। कांग्रेस आमने-सामने की लड़ाई में नहीं थी।

दोनों पार्टियों के प्रमुख नेता शेयर करेंगे मंच
राज्य में समाजवादी पार्टी व कांग्रेस गठबंधन के पैरोकारों का कहना है कि दोनों पार्टियों के साथ आने पर अखिलेश यादव सहित सभी प्रमुख नेता साथ मंच से प्रचार करेंगे तो यादव मतदाताओं को साथ लाने में सहायता मिलेगी। इससे अंततः कांग्रेस को ही फायदा मिलेगा। दूसरी तरफ सपा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने की ओर बढ़ेगी।

MP में गठबंधन के सम्बन्ध में चल रही बात
विपक्षी गठबंधन इंडिया की समन्वय समिति में समाजवादी पार्टी की तरफ की से सदस्य व राज्यसभा सांसद जावेद अली खान स्वीकृत करते हैं कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में साझेदारी के लिए सपा और कांग्रेस के बीच बातचित जारी है। अगर बातचीत नतीजे पर पहुंचती है तो यह दोनों दलों के लिए फायदेमंद होगा।

दबाव की रणनीति के साथ आगे बढ़ रही सपा
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव 27 व 28 सितंबर को मध्य प्रदेश के दौरे पर गए थे। उन्होंने वहां जातीय जनगणना के कांग्रेस के समर्थन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि जिसे कांग्रेस टिकट न दे, उसे सपा चुनाव लड़ा सकती है। राजनीतिक हलकों में इसे दबाव की राजनीति माना जा रहा है, ताकि कुछ खास जगहों में अपनी मजबूत पकड़ दिखाते हुए यह भी अहसास करा दिया जाए कि गठबंधन पर बात न बनने पर मध्य प्रदेश में सपा किस हद तक जा सकती है। इसी रणनीति के अन्तर्गत सपा 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।