उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने सोमवार को अपनी राजनीतिक पार्टी के संन्यास की घोषणा कर राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात भी कही। दरअसल, हरीश रावत ने सोमवार को फेसबुक के माध्यम से ट्वीट किया है कि वर्ष 2024 में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के बाद राजनीति से संन्यास ले लूंगा। इसके अलावा उन्होंने विपक्षी दलों पर हमला भी बोला।
हरीश रावत ने फेसबुक पर किया बड़ा ऐलान
हरीश रावत ने फेसबुक पर विरोधियों पर वार करते हुए कहा की महाभारत के युद्ध में अर्जुन को जब घाव लगते थे, वो बहुत रोमांचित होते थे। राजनीतिक जीवन के प्रारंभ से ही मुझे घाव दर घाव लगे, कई-कई हारें झेली, मगर मैंने राजनीति में न निष्ठा बदली और न रण छोड़ा। मैं आभारी हूं, उन बच्चों का जिनके माध्यम से मेरी चुनावी हारें गिनाई जा रही हैं, इनमें से कुछ योद्धा जो आरएसएस की क्लास में सीखे हुए हुनर, मुझ पर आजमा रहे हैं। वो उस समय जन्म ले रहे थे, जब मैं पहली हार झेलने के बाद फिर युद्ध के लिए कमर कस रहा था।
उन्होंने आगे लिखा कि कुछ पुराने चकल्लस बाज़ हैं जो कभी चुनाव ही नहीं लड़े हैं और जिनके वार्ड से कभी कांग्रेस जीती ही नहीं। वो मुझे यह स्मरण करा रहे हैं कि मेरे नेतृत्व में कांग्रेस 70 की विधानसभा में 11 पर क्यों आ गई। ऐसे लोगों ने जितनी बार मेरी चुनावी हारों की संख्या गिनाई है, उतनी बार अपने पूर्वजों का नाम नहीं लिया है, मगर यहां भी वो चूक कर गये हैं।
इसके अलावा उन्होंने लिखा कि अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर में तो मैं सन 1971-72 से चुनावी हार-जीत का जिम्मेदार बन गया था। जिला पंचायत सदस्यों से लेकर जिलापंचायत, नगर पंचायत अध्यक्ष, वार्ड मेंबरों, विधायकों के चुनाव में न जाने कितनों को लड़ाया और न जाने उनमें से कितने हार गये। ब्यौरा बहुत लंबा है मगर उत्तराखंड बनने के बाद सन 2002 से लेकर सन् 2019 तक हर चुनावी युद्ध में मैं नायक की भूमिका में रहा हूं, यहां तक कि 2012 में भी मुझे पार्टी ने हैलीकॉप्टर देकर 62 सीटों पर चुनाव अभियान में प्रमुख दायित्व सौंपा।
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इसके अलावा फेसबुक के माध्यम से ऐलान करते हुए हरीश रावत ने आगे कहा कि चुनावी हारों के अंकगणित शास्त्रियों को अपने गुरुजनों से पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने जीवन काल में कितनों को लड़ाया और उनमें से कितने जीते? यदि अंक गणितीय खेल में उलझे रहने के बजाय आगे की ओर देखो तो समाधान निकलता दिखता है। त्रिवेंद्र सरकार के एक काबिल मंत्री ने जिन्हें मैं उनके राजनैतिक आका के दुराग्रह के कारण अपना साथी नहीं बना सका, उनकी सीख मुझे अच्छी लग रही है। मैं संन्यास लूंगा, अवश्य लूंगा मगर 2024 में, देश में राहुल गांधी जी के नेतृत्व में संवैधानिक लोकतंत्रवादी शक्तियों की विजय और राहुल गांधी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही यह संभव हो पायेगा, तब तक मेरे शुभचिंतक मेरे संन्यास के लिये प्रतीक्षारत रहें।