गोपेश्वर। इन दिनों हिमालयी क्षेत्र दुर्लभ प्रजाति से फूलों से गुलजार है। चारों ओर खिले विभिन्न प्रकार के फूल ऐसे लग रहे हैं मानों किसी ने फूलों का गलीचा बिछा रखा हो। हिमालयी क्षेत्र में खिले इन दुर्लभ प्रजाति के पौधों के खिलने के पीछे कोरोना के कारण बुग्याली क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप में कमी का माना जा रहा है। वासुकीताल में दुर्लभ प्रजाति सौसुरिया एटकिंसोनी के मिलने के बाद यह बात प्रमाणिक हो रही है। केदारनाथ वन प्रभाग के अधिकारी इसे ब्रहम कमल कुल का दुर्लभ पौधा बता रहे हैं।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कुंवर ने बताया कि इन दिनों केदारनाथ धाम के समीप स्थित वासुकीताल में बड़े पैमाने पर हिमालयी फूल खिले हुए हैं। यहां बुग्याल क्षेत्र फूलों से गुलजार हो गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार वन प्रभाग के क्षेत्र में ब्रहम कमल कुल का दुर्लभ पौधा सौसुरिया एटकिंसोनी भी वासुकीताल क्षेत्र में देखने को मिला है, जो कि हिमालयी क्षेत्र के स्वस्थ होने के संकेत दे रहा है।
उन्होंने बताया कि सौसुरिया एटकिंसोनी के साथ ही वासुकीताल क्षेत्र में इन दिनों नीलकमल, गौथिरिया, प्रैमुला सहित 20 हिमलायी प्रजाति के औषधीय पादप खिले हुए हैं, वहीं विभागीय अधिकारियों के अनुसार यहां एक्नोटिम वायलेसियम का फूल भी खिला हुआ है। यह बैंगनी रंग का फूल जहां देखने में बहुत सुंदर लगता है। वहीं इसके सूंघने भर से व्यक्ति की जान जा सकती है, जिसके चलते विभागीय अधिकारी फूलों और वनस्पतियों को बिना जानकारी न छूने को लेकर पर्यटकों को आगाह कर रहे हैं।