इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज विधानसभा चुनाव में अधिकारियों का ऑनलाइन प्रशिक्षण की अनुमति के मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने रविवार को अवकाश के दिन इस मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से पूछा था कि वह कोर्ट को बताए कि क्या ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है, उन्हें ऑनलाइन प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि उनके फिजीकल प्रशिक्षण से वापस आने पर परिवार को संक्रमण का खतरा है।
आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को आयोग द्वारा प्रशिक्षण के लिए किये गए इंतजाम की जानकारी दी। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुख्य स्थायी अधिवक्ता जे एन मौर्य ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने डाक्टरों का पैनल तैयार किया है। वह बीमार लोगों की जांच कर रिपोर्ट देगा। जिला निर्वाचन अधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वह ड्यूटी से छूट दे सकता है। वैसे भी जो 24 व 25 को प्रशिक्षण ले नहीं सकेंगे उनके लिए आयोग ने 29 जनवरी को विशेष व्यवस्था के तहत प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। यह भी बताया कि ईवीएम मशीन के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना है। वह ऑनलाइन नहीं दिया जा सकता। शारीरिक रूप से उपस्थित होकर ईवीएम मशीन की जानकारी प्राप्त करना जरूरी है। इस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दयालबाग शिक्षण संस्थान की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
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याची का कहना था कि 324 में से 194 लोगों को 24 व 25 जनवरी को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है। इन 194 में से कुछ लोग ऐसी बीमारी से ग्रस्त हैं जिससे उन्हें कोरोना संक्रमित होने की अधिक संभावना है। यदि ये संक्रमण लेकर घर वापस गये तो परिवार के हित में नहीं होगा। चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के खंड 40 में लिखा है कि चुनाव अधिकारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा सकता है।