फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की मदद के लिए बने “फाइलेरिया सपोर्ट ग्रुप” के सदस्यों ने सोमवार को सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी को अनुरोध पत्र सौंपा । पत्र के माध्यम से फाइलेरिया से ग्रसित और दिव्यांग हुए लोगों को सरकारी मदद दिलाने में सहयोग की मांग की गई।
माँ चंद्रिका देवी और ब्रह्मदेव सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों की ओर से दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी कमलेश कुमार वर्मा को अनुरोध पत्र सौंपा गया। बक्शी का तालाब ब्लॉक के हरदौरपुर गाँव के माँ चंद्रिका देवी सपोर्ट ग्रुप की सदस्य माया देवी और मोतीलाल ने ज्ञापन के माध्यम से फाइलेरिया रोगियों का दर्द साझा किया।
हरदौरपुर गाँव के 45 वर्षीय मोतीलाल ने कहा कि वह पिछले 10 वर्षों से फाइलेरिया (हाथी पाँव) से पीड़ित हैं। उनके दोनों ही पैर इससे प्रभवित हैं और पैरों का वजन लगभग 13 किलोग्राम है | इससे उनका उठना-बैठना और चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। वह कोई काम नहीं कर सकते हैं, इसलिए वह अपने भाई पर निर्भर हैं | उनका विवाह भी नहीं हो पाया है | यहाँ तक कि मजबूरी में शौच क्रिया भी खड़े होकर करनी पड़ती है। अगर सरकारी योजना के तहत उन्हें ट्राई साइकिल मिल जाती और कमोड वाले शौचालय की व्यवस्था हो जाती तो उनका जीवन कुछ आसान बन जाता।
इसी गाँव के ब्रह्मदेव सपोर्ट ग्रुप के अध्यक्ष 37 वर्षीय सोनपाल ने कहा कि वह 16 साल से पैरों की सूजन ( हाथी पाँव) और हाइड्रोसील से ग्रसित हैं | एक पैर का वजन लगभग 10 किलोग्राम है | उन्हें किसानी और रोजमर्रा के काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उनकी सरकार से मांग है कि उनके जीवनयापन के लिए आर्थिक मदद की जाए या किसी योजना से जोड़कर उनकी कमाई की कोई व्यवस्था की जाए। दिव्यांगता प्रमाणपत्र न मिल पाने से इन लोगों में मायूसी भी है।
उप्र के 77.71 प्रतिशत लोग ले चुके टीकाकरण की पहली डोज
फाइलेरिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो व्यक्ति को पूरी तरह से या फिर आंशिक रूप से दिव्यांग बना देती है। कई बार तो यह बीमारी इस कदर अपना असर दिखाती है कि व्यक्ति के लिए दैनिक क्रियाएं और रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाता है और पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाता है।