पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से मणिपुर हिंसा से ग्रस्त है। इसी बीच शुक्रवार यानी 16 जून को भी मणिपुर में हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान यहां भीड़ के हिंसक उपद्रव करने की ताजा घटनाएं हुई हैं। इसी बीच विपक्ष ने मांग की है कि पीएम मोदी को भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखनी चाहिए। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं।
गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई से मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष हो रहा है। मणिपुर में जारी हिंसा में अबतक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं, 300 से अधिक घायल हुए हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं। इस मामले पर कांग्रेस नेता ओकरम इबोबी सिंह ने कहा है कि पीएम मोदी को हिंसा के संबंध पर बोलना चाहिए। सिंह ने कहा कि मणिपुर मई से जल रहा है और लगभग 20,000 लोग राहत शिविरों में हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर के संबंध में चुप्पी साधी हुई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है जो अब तक पीएम मोदी ने इस संबंध में कोई वक्तव्य नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हम राज्य में शांति स्थापित करना चाहते है। उन्होंने कहा कि केंद्र को ये तय करना चाहिए कि राज्य में शांति कैसे स्थापित की जा सकती है।
बता दें कि ओकरम इबोबी सिंह दस दलों के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो 12 जून से मोदी से मिलने का समय लेने के लिए दिल्ली में इंतजार कर रहा है। प्रतिनिधिमंडल में जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), आम आदमी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
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जयराम रमेश ने भी साधा निशाना
बता दें कि इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी सवाल उठा चुके है। उन्होंने कहा था कि 22 वर्षों पहले अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री होने के दौरान भी मणिपुर में हिंसा भड़की थी, तब सभी पार्टियों की मांग पर दो बार सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। खुद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शांति की अपील की थी। इस बार भी मणिपुर जल रहा है मगर पीएम मोदी ने शांति की अपील नहीं की है। 10 अलग अलग पार्टियों के नेता पीएम से मिलना चाहते हैं मगर वो खामोश बैठे हैं।