केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरोध में पिछले कई महीनों से जारी किसान आंदोलन को नई गति देने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता किसान नेता राकेश टिकैत पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं। इसी क्रम में उन्होंने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार को एक बार फिर किसान आंदोलन को तेज करने का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने किसानों के साथ ट्रैक्टर से गांधीनगर को घेरने की भी धमकी दी है।
किसान नेता ने गांधी जी की प्रतिमा को पहनाई सूत बनी माला
सोमवार को किसान नेता राकेश टिकैत अपने गुजरात दौरे के दूसरे दिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के साथ गांधी आश्रम पहुंचे। आश्रम में उन्होंने गांधी की प्रतिमा पर सूत से बनी माला पहनाई।
इस मौके पर एक बैठक में किसान नेता टिकैत ने कहा कि हम हमारी वजह से भाजपा में डर फैल रहा हैं। किसान आंदोलन के तहत अभी शांतिपूर्ण तरीके से धरना चल रहा है। लेकिन जिस तरह से गुजरात और पूरे देश में किसानों की जमीन छीनी जा रही है, इसका विरोध किया जायेगा।
किसान नेता ने कहा कि गुजरात के किसानों की भी कई समस्याएं हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने किसानों की आलू की सही कीमत न मिलने पर आक्रोश जताते हुए कहा कि तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर भी नहीं मिलता तो किसान क्या कमाएगा। उन्होंने कहा कि मैं आज गुजरात के किसानों के डर को दूर करने के लिए आया हूं। गुजरात के किसान भी गांधीनगर की घेराबंदी की जायेगी और यहां भी आंदोलन तेज किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अभी तक ट्रैक्टर का उपयोग केवल खेती के लिए किया जाता था अब आंदोलन के लिए भी किया जाएगा। गांधीनगर की हर बैरिकेड्स को ध्वस्त किया जाएगा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जिस तरह से सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया है। यह लोग साबरमती गांधी आश्रम का नाम भी भविष्य में बदल सकते हैं। उन्होंने कोरोना प्रकोप को लेकर कहा कि जहां चुनाव होता है, वहां कोरोना नहीं होता है और जहां आंदोलन होता है, वहां कोरोना आ जाता है। राकेश टिकैत ने कहा कि हम कोरोना से डरते नहीं हैं और किसानों का आंदोलन जारी रखेंगे।
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सोमवार को उनकी बैठक में महज 50 लोग ही उपस्थित थे। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री वाघेला ने समर्थन देने की घोषणा कर रखी है लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया। उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिन पहले वाघेला ने भरूच के ज़ाडेश्वर सर्किट हाउस में किसान नेताओं के साथ बैठक की आंदोलन नी चर्चा की थी।