“मनोरंजन के नाम पर सांस्कृतिक मूल्यों व परम्पराओं को पहुंच रही है क्षति…”

‘‘बुराई तभी पांव पसारती है जब अच्छाई मौन हो जाती है। लोक गीतों के नाम पर विषमतायें ऐसी हो गयी हैं कि उन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा व सुना नहीं जा सकता। मनोरंजन के नाम पर पैसा कमाने के लिए सांस्कृतिक मूल्यों व परम्पराओं को क्षति पहुंचाये जाने का कार्य चल रहा है। आवश्यक है कि हम मिलजुलकर लोकगीतों के क्षरण को रोकने के लिए प्रयास करें।’’

ये बातें मुम्बई से आये लोक संस्कृतिकर्मी रत्नाकर कुमार ने कहीं। बुधवार को प्रेस क्लब में अवध भारती संस्थान व लोकरंग फाउण्डेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित भोजपुरी एवं अवधी लोकगीतों का संरक्षण विषय पर आयोजित परिचर्चा में वे मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि एक माह में बीस अश्लील गीत निकलते हैं तो हमें कम से कम पचास अच्छे गीत निकालने होंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश व बिहार के एक हजार से अधिक लोक गायकों को मुहिम से जोड़ने की वकालत की।

विषय प्रवर्तन करते हुए अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ. रामबहादुर मिश्र ने कहा कि भोजपुरी व अवधी दोनों सगी बहने हैं। एक में अत्यधिक मिठास है तो दूसरे में समृद्ध साहित्य। उन्होंने संतोष जताया कि  इन दोनों की साझा लोक संस्कृति को संरक्षित करने व आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने के लिए लोग आगे आ रहे हैं।

लोकरंग फाउण्डेशन की सचिव कल्चर दीदी कुसुम वर्मा ने लोक गीतों में निहित सम्बंधों के मनोविज्ञान व उससे उत्पन्न मनोभावों का उल्लेख करते हुए पारम्परिक लोकगीत सुनाये।

वरिष्ठ लोकगायिका व अवधी भोजपुरी समरसता मंच की अध्यक्ष आरती पांडेय ने दोनों लोकभाषाओं के अन्तरसम्बंधों पर प्रकाश डाला। समालोचक डा. विनय दास, संस्कृतिकर्मी धनंजय सिंह, अवध भारती संस्थान के उपाध्यक्ष विश्वम्भरनाथ अवस्थी ‘पप्पु भैया’, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

युवा लोकगायिका संजोली पांडेय, सुप्रसिद्ध आल्हा गायक रामरथ पांडेय, नीरा मिश्रा, सुमन पाण्डा, सुमन शर्मा, अंजलि सिंह, डा. अनिल त्रिपाठी, अभिषेक झा आदि ने अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस अवसर पर अवधी साहित्य के पुरोधा कवि पं. वंशीधर शुक्ल पर आधारित डा. सीमा पांडेय की पुस्तक ‘पं. वंशीधर शुक्ल: व्यक्ति और रचनाकार’ का लोकार्पण किया गया। प्रकाशक रामानंद तिवारी व लेखक डा. सीमा पांडेय ने कृति के वैशिष्ट्य पर चर्चा की। मुख्य अतिथि रत्नाकर कुमार को अवध ज्योति रजत जयन्ती सम्मान के अन्तर्गत अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह व प्रमाण पत्रादि प्रदान किये गये। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. एस.के. गोपाल ने किया।

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कार्यक्रम में अमृतसर से आये संजय अवधी, साहित्यकार ओमप्रकाश दूबे, अवध भारती न्यास के प्रबन्धक जितेन्द्र कुमार मिश्र ‘टीटू’, शालिनी सिंह, शारदा पांडेय, तेजस्वी गोस्वामी, जादूगर सुरेश, सर्वेश चौधरी, होमेन्द्र कुमार मिश्र आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।