दिलीप कुमार की दूसरी शादी किसी हादसे की तरह थी। जो महज 2 साल चली। 1981 में जुड़ा यह रिश्ता 1983 में खत्म हुआ। हालांकि इसमें चलने जैसा कुछ था नहीं लेकिन दिलीप कुमार को बाकायदा तलाक लेकर मामला ख़त्म करना पड़ा। लोगों ने तो यहां तक कह दिया था कि दिलीप कुमार ने औलाद की चाहत में यह कदम उठाया था, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और है।
ऑटोबायोग्राफी में किया है इस गलती का जिक्र
दिलीप कुमार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में इस शादी का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था- खैर, मेरे जीवन की एक घटना जिसे मैं भूलना चाहता हूं और जिसे हमने, वास्तव में हमेशा के लिए गुमनामी में धकेल दिया है, वह एक गंभीर गलती है जो मैंने अस्मा रहमान नाम की एक महिला के साथ जुड़ने के दबाव में की थी, जिनसे मैं हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में एक क्रिकेट मैच में मिला था। वहां वह अपने पति के साथ रहती थी।
जब वह एक प्रशंसक के रूप में मुझसे मिली थी तब वह तीन बच्चों की मां थी और वह कई अन्य प्रशंसकों की तरह लग रही थी, जिन्हें मेरी बहनों फौजिया और सईदा ने पब्लिक प्लेस पर मुझसे मिलवाया था। वह मेरी बहनों की दोस्त थी। मेरी बहनों से अक्सर महिलाएं मुझसे मिलवाने और हल्की-फुल्की बातचीत करवाने की रिक्वेस्ट करती थीं। मुझे इस तरह के परिचय की आदत थी। मैं हमेशा उन मेल फैंस से गर्मजोशी से पेश आता था जिन्हें मेरे भाइयों ने घर पर बुलाया होता या जिन युवतियों को मेरी बहनें साथ लाती थीं।
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हालांकि अस्मा के मामले में, मैं उस मिली-भगत से पूरी तरह से अनजान था जिसे धोखे से मेरे साथ किया जा रहा था और मुझसे कमिटमेंट लेने एक ऐसी स्थिति बनाई जा रही थी जिसमें निहित स्वार्थ हासिल किए जा सकें। एक बार नहीं, बल्कि कई बार मुझे वह महिला और उसका पति मिला। यहां तक कि जब मैं बंबई से बाहर अलग-अलग जगहों पर था तो मेरे पास आकर रुका भी करते थे।