देहरादून। महिलाओं, युवाओं और भूतपूर्व सैनिकों के रोजगार के साधन बढ़ाने, कौशल विकास, सरकारी और निजी संस्थानों में नौकरी प्रदान करने के लिए तीनों वर्गों के लिए अलग – अलग नीति बनाई जाएगी। प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी जैसे सरकारी सेवा, नीट, नर्सिंग, विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आदि के क्षेत्र में प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। बृहद स्तर पर युवा महोत्सव और रोजगार मेलों का आयोजन किया जाएगा।
व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आईटीआई, पॉलिटेक्निक और स्कूल आपसी समन्वय से कार्य करेंगे। युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अल्पकालिक, माध्यकालिक और दीर्घकालिक योजना के तहत कार्य किए जाएंगे। युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मौन पालन, एप्पल मिशन और बागवानी के लिए हर ब्लॉक में प्रारंभिक चरण में 200 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्वैच्छिक चकबंदी योजना जल्द शुरू की जाएगी।
राज्य के स्थानीय उत्पादों फल, सब्जी, दूध की खरीद के लिए कृषि विभाग और आईटीबीपी के बीच एमओयू किया गया है। इसी तरह एसएसबी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ भी एमओयू किया जाएगा, जिससे राज्य के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी।निजी क्षेत्रों में भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उद्योग विभाग के माध्यम से मार्केट लिंकेज की व्यवस्था की जाएगी।
भूतपूर्व सैनिकों राज्य में उपनल के माध्यम से कार्य करते हैं, उनको रोजगार और स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा और विभिन्न संस्थानों में उनकी योग्यता पर आधारित सेवाओं से जोड़ने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।
उत्तराखण्ड अपराध से पीड़ित सहायता (संशोधन) योजना, 2025 को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। सचिव गृह शैलेश बगोली ने बताया कि उत्तराखण्ड अपराध से पीड़ित सहायता योजना, 2013 (यथासंशोधित 2014 एवं 2016) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-357 (क) के अधीन अधिसूचित की गयी थी। मा० पोक्सो न्यायालयों द्वारा “लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012” के अंतर्गत पीड़ितों को क्षतिपूर्ति भुगतान हेतु आदेश पारित किये जाते रहे हैं, किन्तु वर्तमान योजना में पोक्सो पीड़ितों हेतु कोई स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण विभाग को व्यावहारिक कठिनाई का सामना करना पड़ता रहा।
उक्त कठिनाई के निराकरण और मा० न्यायालय के आदेशों के अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से योजना में संशोधन कर “उत्तराखण्ड अपराध से पीड़ित सहायता (संशोधन) योजना, 2025” अधिसूचित की जा रही है। इस संशोधन के अन्तर्गत पोक्सो पीड़ितों के लिए न्यूनतम एवं अधिकतम क्षतिपूर्ति राशि निर्धारित करते हुए नए प्रावधान अनुसूची-2 के रूप में सम्मिलित किये गये हैं। इसके माध्यम से पीड़ितों को समयबद्ध एवं प्रभावी सहायता उपलब्ध करायी जा सकेगी।
उत्तराखण्ड सरकार ‘साक्षी संरक्षण योजना, 2025’
न्याय व्यवस्था को सशक्त एवं निष्पक्ष बनाने के लिए राज्य सरकार ने ‘उत्तराखण्ड साक्षी संरक्षण योजना, 2025’ को मंजूरी प्रदान कर दी है, जो साक्षियों की सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करेगी। इस योजना का उद्देश्य साक्षियों को किसी भी प्रकार के भय, दबाव अथवा प्रतिशोध से मुक्त रखकर उन्हें न्यायालय के समक्ष स्वतंत्रतापूर्वक एवं सत्यनिष्ठा से गवाही देने हेतु सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना है। योजना के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर पहचान गोपनीयता, स्थान परिवर्तन, सम्पर्क विवरण में बदलाव, भौतिक सुरक्षा व्यवस्था एवं आवश्यकतानुसार वित्तीय सहायता जैसी सुरक्षा उपायों का प्रावधान किया गया है। सभी निर्णयों में गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
इसके लिए राज्य साक्षी संरक्षण समिति गठित की गई है, जिसमें न्यायपालिका, पुलिस एवं जनपद स्तर के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हैं। यह समिति साक्षियों की सुरक्षा आवश्यकता का आकलन कर समयबद्ध रूप से उपयुक्त संरक्षण उपाय सुनिश्चित करती है। ‘उत्तराखण्ड साक्षी संरक्षण योजना, 2025’ के माध्यम से राज्य सरकार यह दृढ़ संदेश देती है कि न्याय की प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं सुरक्षित बनाना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह पहल पारदर्शिता, न्याय एवं विधि के शासन के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।