आप विधायक सोमनाथ भारती पर चला अदालत का चाबुक, सुनाई गई कड़ी सजा

2016 में एम्स के सिक्योरिटी गार्ड के साथ मारपीट के मामले में दिल्ली के आप विधायक और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती पर अदालत का जबरदस्त चाबुक चला है। दरअसल, इस मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू सेशन कोर्ट ने उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसे उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के बाद दायर किया था। इसके साथ ही अदालत ने सोमनाथ भारती को मिली दो साल की सजा को भी बरकरार रखा है। अदालत ने पिछले 15 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सोमनाथ भारती के खिलाफ अदालत ने सुनाई फैसला

सुनवाई के दौरान पिछले 28 जनवरी को सेशन कोर्ट ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के दो साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना की सजा पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सोमनाथ भारती को बीस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी। अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पिछले 22 जनवरी को अदालत ने सोमनाथ भारती को इस मामले में दोषी ठहराया था। और 23 जनवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने उन्हें सजा सुनाई थी।

अदालत ने इस मामले के दूसरे आरोपितों जगत सैनी, दिलीप झा, संदीप सोनू और राकेश पांडेय को बरी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सोमनाथ भारती को भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 353, 147 और 149 के अलावा प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 के तहत दोषी पाया है। घटना 9 सितंबर, 2016 की है। एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आरएस रावत ने 10 सितंबर, 2016 को एफआईआर दर्ज कराई थी।

आरएस रावत की शिकायत में कहा गया था कि 9 सितंबर की सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर सोमनाथ भारती अपने करीब तीन सौ समर्थकों के साथ नाला रोड के पास गौतम नगर में एम्स की बाउंड्री वाल को जेसीबी से तोड़ने लगे। जब एम्स के सुरक्षा अधिकारियों ने सोमनाथ भारती को मना किया तो उन्होंने कहा कि ये सार्वजनिक संपत्ति है। इस बाबत जब उनसे कागजात मांगे गए तो वे कोई कागजात नहीं दिखाए और सुरक्षाकर्मियों के साथ बदतमीजी औऱ हाथापाई करने लगे। इसमें कुछ सुरक्षाकर्मियों को हल्की चोटें भी आईं। एफआईआर के मुताबिक सोमनाथ भारती के साथ भीड़ ने बाउंड्री वाल पर लगे कंटीले तारों को हटा दिया।

यह भी पढ़ें: भारतीय बल्लेबाजों ने दिखाया बल्लेबाजी का जौहर, इंग्लैंड को मिला 318 रनों का लक्ष्य

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 353, 323,147 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 के तहत चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट ने सभी आरोपितों के खिलाफ 20 नवंबर, 2018 को धारा 323, 353, 147, 149 के तहत चार्जशीट पर संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने 19 गवाहों के बयान दर्ज करवाए थे।