ताइवान पर हथियार सौदे से भड़का चीन, अमेरिका की 20 डिफेंस कंपनियों पर लगाया बैन, बढ़ा तनाव

चीन और अमेरिका के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी बढ़ गई है। ताइवान को हथियार बेचने के फैसले पर नाराज चीन ने अमेरिका के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जवाबी कार्रवाई की है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निर्देश पर बीजिंग ने 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम अमेरिका द्वारा ताइवान को रिकॉर्ड 11.1 अरब डॉलर के हथियार बिक्री पैकेज को मंजूरी देने के बाद उठाया गया है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर अमेरिका को सख्त चेतावनी दी है। मंत्रालय ने कहा कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों से जुड़ा है और यह चीन-अमेरिका संबंधों की वह ‘लाल रेखा’ है, जिसे किसी भी कीमत पर पार नहीं किया जा सकता। चीन ने स्पष्ट किया कि ताइवान को हथियार देने जैसी उकसाने वाली कार्रवाइयों का वह हर हाल में कड़ा जवाब देगा।

लाल रेखा पार करने पर सख्त कार्रवाई का संकेत
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिका द्वारा “चीन के ताइवान क्षेत्र” को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने के फैसले के जवाब में यह कार्रवाई की गई है। चीन ने ताइवान को हथियार आपूर्ति में शामिल 20 अमेरिकी सैन्य कंपनियों और 10 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जवाबी कदम उठाने का फैसला किया है। बीजिंग ने दो टूक कहा कि कोई भी देश या व्यक्ति यदि ताइवान के मुद्दे पर उकसावे की कोशिश करेगा, तो उसे चीन के दृढ़ प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।

चीन ने अमेरिका से एक-चीन सिद्धांत का पालन करने, ताइवान को हथियार देने जैसे “खतरनाक कदम” रोकने और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति व स्थिरता को कमजोर करने वाली गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है। साथ ही ‘ताइवान स्वतंत्रता’ की ताकतों को गलत संकेत न देने की चेतावनी भी दी गई है।

अमेरिका को सबक देने की कोशिश
विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन की यह कार्रवाई अमेरिका को कड़ा संदेश देने के लिए की गई है। हालांकि, इसे काफी हद तक प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि प्रतिबंधित ज्यादातर अमेरिकी रक्षा कंपनियों का चीन में कोई बड़ा व्यावसायिक संचालन नहीं है। प्रस्तावित हथियार सौदे को अभी अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी मिलनी बाकी है। अगर यह पैकेज पास होता है, तो यह बाइडेन प्रशासन के दौरान ताइवान को बेचे गए 8.4 अरब डॉलर के हथियार सौदे से भी बड़ा होगा।

 

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