जहां एक तरफ कोरोना महामारी से हाहाकार मची है, वहीं संक्रमित लोगों को भी अपनी जान बचाने के लिए लांखो जतन करने पड़ते है। पहले तो मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती होने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती है, लक्षण होने व हालत गंभीर होने पर भी जब तक रिपोर्ट पॉजिटिव न आ जाए अस्पतालों में एडमिट नहीं किया जाता है, इन्हीं सब के चलते कई बार देर होने व समय पर इलाज न मिलने कि वजह से मरीज दम तोड़ देता है।
इस भयावह स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अब अस्पतालों में इलाज कराने के लिए कोरोना संक्रमण का टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं होगा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं, जिसके तहत अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने की राष्ट्रीय नीति में संशोधन किया गया है।
केंद्र सरकार ने बदलीं गाइडलाइंस
बता दें कि अब तक अस्पतालों में एडमिट होने के लिए कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट अनिवार्य होती थी। नए बदलाव के तहत, अब रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। गौरतलब है कि पहले रिपोर्ट के चक्कर में मरीजों को काफी परेशान होना पड़ता था। वहीं, कई मरीजों ने तो अपनी जान भी गंवा दी थी। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइंस जारी कर दीं। साथ ही, इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं। उनसे कहा गया है कि नई नीति को तीन दिन में अमल में लाया जाए।
इन वॉर्ड में मिलेगा रिपोर्ट न आने पर मरीजों को दाखिला
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार की नई नीति के तहत संदिग्ध मरीजों को सस्पेक्टेड वॉर्ड में एडमिट किया जाएगा। ये वॉर्ड कोविड केयर सेंटर, पूर्ण समर्पित कोविड केयर सेंटर और कोविड अस्पतालों में भी बनाए जाएंगे। नई पॉलिसी में यह भी साफ किया गया है कि मरीजों को उनके राज्य के आधार पर भी इलाज देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
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पहचान पत्र नहीं तो काम आएगा यह नियम
स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन लोगों के लिए भी नियम जारी किया है, जिनके पास कोई भी पहचान पत्र नहीं है और वे टीकाकरण कराना चाहते हैं। ऐसे लोगों को कोविन ऐप में पंजीकृत किया जाएगा। उनके टीकाकरण के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन लोगों की पहचान करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।