सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाल तस्करी मामले में तीन आरोपियों को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और लापरवाही के लिए उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जमानत आवेदनों पर लापरवाही से निपटा, और इसके कारण कई आरोपी फरार हो गए। ये आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए कड़े सवाल
जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवनथे की पीठ ने कहा कि जमानत देते समय उच्च न्यायालय से कम से कम जो अपेक्षित था, वह यह था कि वह हर हफ्ते पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने की शर्त लगाए। पुलिस ने सभी आरोपियों का पता नहीं लगाया। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता से अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए सतर्क और चौकस रहने की अपील की और कहा कि वे हमेशा पुलिस और सरकारी अधिकारियों पर भरोसा नहीं कर सकते।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि माता-पिता के तौर पर आपको अपने बच्चे के प्रति सतर्क रहना चाहिए। जब बच्चा मरता है तो माता-पिता को जो दर्द और पीड़ा होती है, वह तब अलग होती है जब बच्चा तस्करी करने वाले गिरोहों के चंगुल में फंस जाता है। जब बच्चा मरता है, तो वह भगवान के पास होता है, लेकिन जब वह खो जाता है, तो वह ऐसे गिरोहों की दया पर होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों को बाल तस्करी के मामलों पर नज़र रखने के निर्देश भी दिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई समयबद्ध तरीके से हो।
राज्य सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की भूमिका पर कहा कि हम पूरी तरह से निराश हैं कि यूपी राज्य ने इसे कैसे संभाला और कोई अपील क्यों नहीं की गई। नाम के लायक भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। शीर्ष अदालत एक चोरी हुए बच्चे से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे एक ऐसे जोड़े को दिया गया था जो बेटा चाहते थे।
अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि आरोपी को बेटा चाहिए था और फिर उसने 4 लाख रुपये में बेटा पा लिया। अगर आपको बेटा चाहिए तो आप तस्करी किए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते। उसे पता था कि बच्चा चोरी हो गया है। इसलिए, अदालत ने आरोपी को दी गई जमानत रद्द कर दी।
उच्च न्यायालयों को सुनाया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे निचली अदालतों से छह महीने के भीतर बाल तस्करी के मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिए कहें। अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें हमारी विस्तृत सिफारिशों पर गौर करें और भारतीय संस्थान द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करें और जल्द से जल्द उसे लागू करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर के उच्च न्यायालयों को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगने का निर्देश दिया जाता है। फिर 6 महीने में सुनवाई पूरी करने और दिन-प्रतिदिन की सुनवाई करने के निर्देश जारी किए जाएंगे। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि किसी अस्पताल से नवजात शिशु चोरी हो जाता है, तो अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें : वक्फ ने थमाई नोटिस तो कांग्रेस विधायक ने ग्रामीणों से कहा- एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अस्पताल से नवजात शिशु की तस्करी की जाती है, तो पहला कदम ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस निलंबित करना चाहिए। यदि कोई महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने आती है और बच्चा चोरी हो जाता है, तो पहला कदम लाइसेंस का निलंबन है।