लोगों का मानना है कि ‘आदिपुरुष’ में रावण और भगवान हनुमान को जिस तरह दिखाया गया है, वह काफी शर्मनाक है. फिल्म के खराब वीएफएक्स और छपरी डायलॉग लोगों को गुस्सा दिला रहे हैं. फिल्म में लंका दहन के सीन में भगवान हनुमान के विवादित डायलॉग की वजह से इसके लेखक मनोज मुंतशिर लोगों के निशाने पर आ गए हैं.
फिल्म के कुछ खराब डायलॉग की वजह से लोग मनोज मुंतशिर को ट्रोल कर रहे हैं, मगर मनोज मुंतशिर ‘आदिपुरुष’ के पक्ष में सफाई देने में लगे हैं, पर खुलकर माफी नहीं मांग रहे हैं. उन्होंने नए ट्वीट में लिखा, ‘ रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना. सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है. आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं. उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्री राम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं.’
वे ट्वीट में आगे लिखते हैं, ‘मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे. वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही मां को अभद्र शब्दों से संबोधित किया. मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहां से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर मां को अपनी मां मानते थे. शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों.’
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मनोज मुंतशिर अपने जज्बात बयां करते हुए कहते हैं, ‘हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाजी क्यों की, मैं जान नहीं पाया. क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियां भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं. ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है.’