गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी की मुसीबत बढ़ गई है। देशभर के 56 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर चुनाव आयोग से आम आदमी पार्टी की मान्यता खत्म करने और कार्रवाई करने की मांग की है। रिटायर्ड अधिकारियों ने आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी रद्द करने की मांग की है। साथ ही रिटायर्ड अधिकारियों ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर चुनाह चिन्ह आदेश की धारा 1 ए के उल्लंघन का भी गंभीर आरोप लगाया है।

अरविंद केजरीवाल के बयान पर विवाद
गौरतलब है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 3 सितंबर 2022 को गुजरात के राजकोट में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक विवादित बयान दिया था, जिस पर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स भड़क गए हैं। राजकोट में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के लोक सेवकों पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले कुछ माह में राज्य चुनाव में उनकी पार्टी की जीत होने जा रही है इसलिए वह उनके साथ मिलकर काम करें।
रिटायर्ड अधिकारियों ने पत्र में कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा चुनावों में AAP की सहायता के लिए पुलिसकर्मियों, होमगार्ड, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, राज्य परिवहन ड्राइवरों और कंडक्टरों और मतदान केंद्र अधिकारियों सहित लोक सेवकों को बुलाया है, जो कानून का उल्लंघन है। इसी संबंध में रिटायर्ड अधिकारियों ने आम आदमी पार्टी की शिकायत चुनाव आयोग से की है।
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सिविल सेवकों का राजनीतिकरण अस्वीकार्य
56 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ग्रुप सिविल सेवकों के राजनीतिकरण के लिए AAP के जबरदस्त प्रयासों को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं। पत्र में आगे कहा गया है कि केजरीवाल ने सीधे पोल बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने एक राजनीतिक दल के पक्ष में काम किया है। साथ ही केजरीवाल ने सिविल सेवकों को आम आदमी पार्टी से हाथ मिलाने के लिए प्रेरित किया है। पत्र के जरिए रिटायर्ड IAS अफसरों ने कई ऐसे उदाहरण दिए है, जहां आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है।
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