17 फरवरी 2022 और फिर 4 मार्च 2022. करीब 82 साल के हो चुके मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने इन दो तारीख़ों पर दो लोगों के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे. एक अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए और दूसरा पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव (Lucky Yadav) के लिए. क्या वजह है कि मुलायम सिंह इतनी उम्र होने के बावजूद और बीमारी से घिरे होने के बाद भी पूर्वांचल में जौनपुर की मल्हनी (Malhani) सीट पर वोट मांगने पहुंचे, जहां से बाहुबली धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) की राजनीतिक क़िस्मत दांव पर लगी है? क्या मुलायम सिंह एक बार फिर फिर बाहुबली धनंजय का खेल बिगाड़ेंगे?
साल 2012 में जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह का राजनीतिक ग्राफ गिर रहा था. उनकी पत्नी जागृति सिंह पर नौकरानी की हत्या का आरोप लगा था. इस मामले में धनंजय और उनकी पत्नी को जेल तक जाना पड़ा. इसके बाद साल 2012 में ही जागृति ने मल्हनी से विधायकी का पर्चा भरा, लेकिन हार गईं. इसके बाद धनंजय लाख कोशिशों के बावजूद कभी विधायक नहीं बन पाए. राजनीतिक हार का उनका सिलसिला 2020 के उपचुनाव तक भी नहीं थमा. यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से मल्हनी सीट का ऐसा क्या सियासी महत्व है, जो ख़ुद मुलायम सिंह को चुनावी मंच पर आना पड़ा? ये सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा के केंद्र में है, क्योंकि जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट बाहुबली धनंजय सिंह की राजनीतिक कर्मभूमि में शामिल रही है. यहां से सपा नेता और मुलायम सिंह के बेहद क़रीबी रहे पारसनाथ यादव दो बार विधायक चुने गए. मुलायम कैबिनेट में वो मंत्री भी रहे. पारसनाथ यादव कुल 7 बार के विधायक, 2 बार जौनपुर के सांसद और तीन बार यूपी कैबिनेट में मंत्री रहे.
2017 में मुलायम ने बिगाड़ा था बाहुबली धनंजय का खेल
यूपी विधानसभा चुनाव में 2017 का दौर समाजवादी पार्टी और मुलायम कुनबे के लिए अग्निपरीक्षा जैसा था. तब एक ओर मुलायम के घर में घमासान मचा था. अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लंबी जंग चल रही थी. मुलायम तब भी घर से निकले और जौनपुर पहुंचे. यहां बाहुबली धनंजय सिंह ने अपनी जीत का पूरा प्लान बना रखा था. लेकिन तभी जौनपुर की मल्हनी विधानसभा के चुनावी मंच पर मुलायम सिंह की एंट्री हुई. तब जातीय समीकरण और प्रदेश के राजनीतिक हालात देखते हुए धनंजय सिंह ने ये मान लिया था कि उनकी जीत तय है. लेकिन, जब मुलायम ने मल्हनी से समाजवादी पार्टी के दबंग नेता पारस नाथ यादव के लिए वोट मांगते हुए भावुक भाषण दिया. वो मंच पर चढ़े और कहा- हम पारस के लिए आए हैं, आप लोग इन्हें जिताएं. मुलायम ने पारस यादव का हाथ अपने हाथों में लिया और जनता की ओर उठाते हुए अभिवादन किया. उनकी इस अपील के बाद जौनपुर की मल्हनी सीट पर पूरा खेल पलट गया. निषाद पार्टी के टिकट पर लड़ रहे धनंजय सिंह 11 हज़ार वोटों से पारस नाथ यादव से हार गए. इसके बाद पारसनाथ अखिलेश कैबिनेट में मंत्री भी बने.
2020 में सपा ने फिर बिगाड़ा धनंजय का गेम
जून 2020 को पारसनाथ यादव का निधन हो गया. मल्हनी विधानसभा सीट खाली हो गई. इस बार सपा ने पारसनाथ के बेटे लकी यादव को मैदान में उतारा. धनंजय सिंह ने फिर सोचा कि उनके रास्ते का सबसे बड़ा कांटा रहे पारसनाथ यादव अब नहीं हैं. लिहाज़ा वो चुनाव जीत सकते हैं. बाहुबली धनंजय ने पूरी ताक़त झोंक दी. लेकिन, मुलायम परिवार पारस के बेटे लकी यादव के साथ खड़ा रहा. धनंजय और लकी यादव के बीच कांटे की टक्कर रही. निर्दलीय धनंजय सिंह को 68,836 वोट मिले और सपा के लकी यादव को 73,468 वोट मिले. धनंजय एक बार फिर मल्हनी सीट पर क़रीब 5 हज़ार वोटों से चुनाव हार गए. इससे पहले मल्हनी सीट पर 2012 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने अपनी पूर्व पत्नी डॉक्टर जागृति सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ाया था, लेकिन वो पारसनाथ यादव से हार गई थीं. मल्हनी में धनंजय सिंह की ये पहली हार थी. इसके बाद वो 2014 में जौनपुर से लोकसभा का चुनावBJP प्रत्याशी केपी सिंह से हारे.
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मुलायम पारस के बेटे के लिए ‘लकी’ साबित होंगे?
2022 में भी मुलायम सिंह यादव पारस नाथ के परिवार को नहीं भूले. उन्होंने लकी यादव के लिए जौनपुर के मल्हनी तक का सफ़र तय किया. यहां शुक्रवार की दोपहर को जनसभा की. बाहुबली धनंजय सिंह का नाम लिए बग़ैर कहा- “उधर अन्याय अत्याचार करने वाले हैं. आप लोग समाजवादी पार्टी को जीत दिलाएं”. मुलायम सिंह ने नौजवानों की बेरोज़गारी और किसानों की समस्याओं का ज़िक्र किया. उन्होंने जिस तरह पारसनाथ यादव के लिए जनता से संकल्प करवाया था, ठीक वैसे ही उनके बेटे लकी यादव के लिए अपील की. मल्हनी की जनता से मुलायम बोले- “संकल्प करके जाना है, सपा को जिताना है”. मुलायम सिंह का मल्हनी तक आना ही अपने आप में ये ज़ाहिर करता है कि अपने दौर के नेताओं के साथ रिश्तों को वो किस हद तक निभाते हैं. पूर्वांचल में जौनपुर के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में मुलायम के आने से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुलायम सिंह 2017 की तरह एक बार फिर बाहुबली धनंजय सिंह का खेल बिगाड़ पाएंगे या धनंजय मल्हनी में अपना राजनीतिक खाता खोल पाएंगे?