संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आज कहा कि पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ ऑनलाइन होने वाले अथक महिला विरोधी और सांप्रदायिक हमलों की भारतीय अधिकारियों द्वारा तुरंत और पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि स्वतंत्र खोजी पत्रकार और महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता राणा अय्यूब दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा ऑनलाइन हमलों और धमकियों का शिकार हो रही हैं। यूएन एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनकी रिपोर्टिंग, महामारी से निपटने के लिए सरकार की आलोचना और कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर हालिया प्रतिबंध पर उनकी टिप्पणियों की वजह से अय्यूब को निशाना बनाया जा रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अय्यूब के जनहित के मुद्दों पर प्रकाश डालने और अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से जवाब देने की शक्ति रखने के प्रयासों के जवाब में उन्हें ऑनलाइन संगठित समूहों द्वारा उन्हें टि्वटर पर हमला करने के साथ ही सामूहिक दुष्कर्म करने जैसी धमकियां मिलने लगी थीं। विशेषज्ञों ने कहा कि अय्यूब को कई वर्षों से उनकी रिपोर्टिंग के संबंध में भारतीय अधिकारियों द्वारा कानूनी उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। 11 फरवरी को, छह महीने में दूसरी बारअय्यूब के बैंक खाते और अन्य संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स धोखाधड़ी के निराधार आरोपों के जवाब में फ्रीज कर दिया गया था, जो प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए उनके क्राउड-फंडिंग अभियानों से संबंधित थे।
भारत ने दिया जवाब
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की तरफ से उठाए गए सवाल पर भारत की तरह से करारा जवाब दिया गया है। भारत की तरफ से कहा गया कि राणा अय्यूब को लेकर तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि वस्तुनिष्ठ और सटीक रूप से सूचित होंगे। भ्रामक बातों को आगे बढ़ाना यूएन प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने जैसा है।
ईडी ने जब्त किए 77 करोड़
बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पत्रकार राणा अय्यूब के एक करोड़ 77 लाख रुपये जब्त कर लिए। पत्रकार राणा अय्यूब के रुपये जब्त किए जाने के बाद ईडी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कथित तौर पर अभियानों के लिए दिए गए दान का सही उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया। ईडी अधिकारियों का कहना है कि राणा अय्यूब ने कोविड, बाढ़ राहत और प्रवासियों के लिए तीन ऑनलाइन अभियान शुरू किए थे। ये एक तरह की क्राउड फंडिंग थी। उन्हें एफसीआरए की मंजूरी के बिना विदेशी योगदान मिला। हालांकि इनकम टैक्स और ईडी की कार्रवाई के बाद पत्रकार राणा अय्यूब ने विदेशी चंदा वापस कर दिया। विदेशी चंदे की वापसी के बाद भी उनके पास लगभग दो करोड़ रुपये थे लेकिन कथित तौर पर केवल 28 लाख रुपये का उपयोग किया गया था। ईडी का कहना है कि उन्होंने गोवा की यात्रा जैसे निजी खर्चों के लिए चंदे का इस्तेमाल किया।
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कौन हैं राणा अय्यूब
तहलका के संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद राणा अय्यूब ने वहां से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से वो स्वतंत्र पत्रकारिता के जरिये तमाम अखबारों और मैगजीनों में लेख लिखने शुरू कर दिए थे। यही नहीं कश्मीर में से धारा 370 हटने के बाद अमूल ने एक भाईचारे वाला विज्ञापन बनाया था। जिसको लेकर राणा अय्यूब ने भी अपनी आपत्ति दर्ज की थी। उन्होंने लिखा था कि कोई कैसे विज्ञापन बना सकता है। जहां पर बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हो, सेना नागरिकों पर अत्याचार कर रही है। सभी लोग घरों में कैद हैं। हाल के दिनों में राणा अय्यूब को जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है। हालांकि जांच कर रही पुलिस ने भोपाल से धमकी देने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया।