प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मजबूत पैठ के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी नजर जमाये हुए है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तालमेल को देख चर्चा है कि गठबंधन भाजपा के गढ़ शहर दक्षिणी विधानसभा से मजबूत प्रत्याशी उतार सकती है।
इसको लेकर शहर में सियासी गर्माहट के साथ कयासबाजी भी शुरू हो गई है। कयास लगाया जा रहा है कि सपा टीएमसी गठबंधन औरंगाबाद हाउस के झंडाबरदार पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी पर यहां से दाव लगा सकती है। गठबंधन की पैरवी करने वालों का मानना है कि शहर दक्षिणी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही बंगाली,यादव, ब्राह्मण,अन्य पिछड़ी बिरादरी के मत निर्णायक हो सकते है। बनारस सहित पूरे पूर्वांचल में औरंगाबाद हाउस के ललितेश ब्राह्मण चेहरे के रूप में देखे जाते है। ऐसे में समीकरण सही बैठा तो यहां बड़ा उलटफेर हो जायेगा। फिलहाल गठबंधन ने अभी तक तस्वीर साफ नही की है। लेकिन माना जा रहा है कि आठ फरवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ वर्चुअल रैली करेंगी।
इसके बाद उनके वाराणसी में संयुक्त रैली की योजना है। वाराणसी रैली में इसको लेकर ठोस रणनीति बन सकती है। बात करें शहर दक्षिणी विधानसभा की तो वर्ष 1989 में भाजपा ने इस सीट से श्यामदेव राय चौधरी ‘दादा’ को उतारा तो उन्होंने जीत का इतिहास रच दिया। यहां से 2012 तक लगातार 7 बार विधायक रहे दादा ने शहर दक्षिणी को भाजपा का अभेद सियासी दुर्ग बना दिया। चुनावों में मतदान के पूर्व ही लोग मान लेते थे कि भाजपा के श्यामदेव राय चौधरी की जीत तय है। वर्ष 2017 में भाजपा से जीते डॉ नीलकंठ तिवारी इस जीत को बरकरार रखने के लिए क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं।
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इस विधानसभा क्षेत्र में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, बाबा काल भैरव मंदिर और गंगा घाट आते है। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भारतीय जनता पार्टी के प्रति शुरू से ही नरम दिल रखते रहे है। दक्षिणी विधानसभा में मिश्रित आबादी निवास करती है। मुस्लिम मतदाता,ब्राह्मण, वैश्य, गुजराती, बंगाली,पटेल,राजपूत,सोनार,निषादों की अच्छी खासी आबादी है।