भारत खुद की सुरक्षा के लिए भविष्य में अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता था, इसीलिए हम ‘आत्मनिर्भर’ होकर अपनी रक्षा क्षमता मजबूत कर रहे हैं, ताकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को भी हमारे हितों को खतरे में डालने वाली कोई भी योजना बनाने से पहले एक हजार बार सोचना पड़े। हमारी सरकार का उद्देश्य किसी पर हमला करना नहीं, बल्कि देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अपने सशस्त्र बलों को हर समय मुस्तैद रहने के लिए तैयार करना है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा के मुद्दे पर यह बात शनिवार को नई दिल्ली में ‘इंडिया बियॉन्ड 75’ विषय पर फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की 94वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आने वाले समय में भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार का दृष्टिकोण सामने रखा। सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर जोर देते हुए देश को मजबूत व ‘आत्मनिर्भर’ रक्षा उद्योग बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जो देश को पारंपरिक और गैर पारंपरिक, वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा खतरों से बचाने में मदद कर सकता है।
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि विभाजन से पैदा हुआ एक देश भारत की प्रगति को देखकर चिंतित है तो दूसरी तरफ एक ऐसा देश है जो नई योजनाएं बनाता रहता है। उन्होंने अमेरिका, रूस और फ्रांस के रक्षा मंत्रियों की हाल की यात्राओं के बारे में कहा कि दुनियाभर के देशों से हमारे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। हमने उनसे कहा है कि हम भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण करना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अमेठी में छह लाख से अधिक एके-203 राइफल्स के निर्माण को लेकर रूस के साथ 5000 करोड़ रुपये से अधिक के हालिया समझौते का भी उल्लेख किया, जिसमें हर देश को ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड’ के लिए आमंत्रित किया गया था।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारत का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार 85 हजार करोड़ रुपये का है और 2022 में यह बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। 2047 तक भारत में रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार पांच लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी से जुड़े हुए डिजिटल क्षेत्र में लड़े जाएंगे। रक्षा मंत्री ने शैक्षणिक संस्थानों से ऐसे पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकियों में विशेष पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जो भविष्य की चुनौतियों को अवसरों में बदलकर देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूती दे सकते हैं। उन्होंने फिक्की से भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के सामूहिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।