प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 से इतर एक शिखर सम्मेलन में सप्लाई चेन में सुधार पर जोर दिया। उन्होंने चीन की ओर इशारा करते हुए ग्लोबल सप्लाई लाइन के सुधार के लिए विश्वसनीय स्रोत, पारदर्शिता तथा समयसीमा के 3 महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया। मोदी ने कहा कि भारत ने दवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य सामान के विश्वसनीय स्रोत के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बनायी है और वह अब स्वच्छ प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका निभाने पर भी गौर कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं सुझाव देता हूं कि हमें अपने दलों को एक निर्धारित समयसीमा के भीतर हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित कार्य योजना बनाने के लिए जल्द से जल्द मुलाकात करनी चाहिए।’
रविवार को इस सम्मेलन का आयोजन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा वैश्विक सप्लाई चेन को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श में चीन का कोई सीधा संदर्भ नहीं था, लेकिन सप्लाई चेन में इसकी बाहरी भूमिका, बैठक में शामिल हुए अधिकांश देशों के लिए चिंता का विषय रही है। इससे पहले क्वाड शिखर सम्मेलन में भी ग्लोबल सप्लाई चेन को लचीला बनाए जाने और इसे लेकर किसी भी एक देश (चीन) पर निर्भरता को कम करने के विकल्प पर जोर दिया गया था।
रोम में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के अलावा, यूरोपीय संघ (ईयू), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, जर्मनी, इंडोनेशिया, भारत, इटली, जापान, मेक्सिको, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन और ब्रिटेन के नेताओं ने हिस्सा लिया और सप्लाई चेन के व्यवधान को दूर करने व सप्लाई चेन को और बेहतर बनाने के दीर्घकालिक मार्ग पर चर्चा की।
मोदी ने कहा, ‘महामारी के शुरुआती महीनों में हम सबने महसूस किया कि आवश्यक दवाओं, स्वास्थ्य उपकरणों और टीकों को बनाने के लिए कच्चे माल की कमी है। अब जब विश्व आर्थिक बहाली के लिए तैयार हो रहा है तो सेमीकंडक्टरों और अन्य सामान की आपूर्ति की समस्याएं स्वस्थ वृद्धि की राह में आ रही हैं।’ दरअसल, दुनिया भर के देशों को सेमीकंडक्टर यानी कच्चा माल का ज्यादातर हिस्सा चीन से मिलता है। ऐसे में अगर चीन ग्लोबल सप्लाई लाइन को बाधित करता है तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है।
तीन पहलू सबसे महत्वपूर्ण- पीएम मोदी
उन्होंने पूछा कि दुनिया में किसने सोचा था कि कभी जहाज के कंटेनरों की भी कमी होगी। उन्होंने कहा कि टीकों की वैश्विक आपूर्ति में सुधार लाने के लिए भारत ने कोविड टीकों का निर्यात बढ़ा दिया है। मोदी ने कहा कि भारत अगले वर्षों में दुनिया के लिए 5 अरब कोविड टीके बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए भी यह महत्वपूर्ण है कि कच्चे सामान की आपूर्ति में कोई बाधा न हो।’
उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार के लिए तीन पहलू सबसे महत्वपूर्ण हैं -विश्वसनीय स्रोत, पारदर्शिता और समयसीमा। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हमारी आपूर्ति विश्वसनीय स्रोतों से हो। यह साझा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस महामारी के दौरान दवा और चिकित्सा आपूर्ति के मामले में हमने यह देखा है। इसलिए समयबद्ध सीमा के भीतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हमें अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लानी होगी। इसके लिए विकासशील देशों में वैकल्पिक निर्माण क्षमता विकसित करनी होगी।’
भारत स्वच्छ टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन का हिस्सा बनने को इच्छुक
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक सप्लाई चेन में सुधार के लिए ‘विश्वसनीय स्रोत, पारदर्शिता और समय-सीमा’ के 3 महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया। बागची ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत पहले से ही सूचना टेक्नोलॉजी (आईटी) और दवा (फार्मा) सप्लाई चेन का एक विश्वसनीय स्रोत है और स्वच्छ टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन का हिस्सा बनने को इच्छुक है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘सप्लाई चेन के विश्वसनीय स्रोत भी ऐसे होने चाहिए जिनमें प्रतिक्रिया वाली प्रवृत्ति न हो ताकि सप्लाई चेन को जैसे को तैसा वाले दृष्टिकोण से बचाया जा सके। आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) की विश्वसनीयता के लिए उनमें पारदर्शिता का होना भी आवश्यक है। पारदर्शिता की कमी के कारण आज हम देख रहे हैं कि दुनिया की कई कंपनियां छोटी-छोटी चीजों की कमी से जूझ रही हैं।’
अमेरिका ने सप्लाई चेन को और बेहतर करने के विषय पर आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सुरक्षित, टिकाऊ तथा प्रगाढ़ वैश्विक सप्लाई चेन हमारी आर्थिक समृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामूहिक हितों का आधार है। सभी देशों ने इस दिशा में साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की।
बाइडन बोले- सप्लाई चेन में लचीलापन बढ़ाने की जरूरत
अपनी शुरुआती टिप्पणी में, बाइडन ने कहा, ‘हाल के दिनों में हमने देखा है कि ग्लोबल कॉमर्स कितना कमजोर पड़ सकता है, अब हम तुरंत पहले जैसी हालत में नहीं आ सकते। साथ ही यह महामारी हमारे सामने आने वाला आखिरी वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं होगा। हमें जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और यहां तक कि नियोजित हमलों का सामना करने के लिए भी लचीलापन बढ़ाने की जरूरत है।’
बाइडन ने कहा कि अमेरिका साल की शुरुआत से ही दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भागीदारों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने दो नई पहलों की भी घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘मैंने लालफीताशाही को कम करके बंदरगाह की भीड़ को कम करने में मदद के लिए अतिरिक्त फंड का आवंटन कर रहा हूं। साथ ही प्रोसेसिंग टाइम को कम कर रहा हूं ताकि जहाजों का बंदरगाहों पर तेजी से आवागमन हो सके।
बाइडन ने कहा, ‘मौजूदा देरी को कम करने और भविष्य के लिए अधिक लचीलापन बनाने का सबसे अच्छा तरीका कच्चे माल से लेकर वेयरहाउसिंग और वितरण तक पूरे सप्लाई चेन में एक साथ काम करना है।’
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