बंगाल विधानसभा की बहुचर्चित भवानीपुर सीट पर उपचुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा शुक्रवार को भाजपा उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे। शुक्रवार को भाजपा नेता पात्रा ने भवानीपुर क्षेत्र में घर-घर जनसंपर्क अभियान चलाया। इस दौरान पात्रा को कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। पात्रा के सामने तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जय बांग्ला के जय घोष के साथ हिंदी फिल्म का गाना “तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे” गाकर विरोध किया।
संबित पात्रा ने कहा- हिंसा और अहिंसा के बीच में हैं यह लड़ाई
जनसंपर्क के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में न्याय और अन्याय के बीच जंग होनी है। उन्होंने कहा कि हम नहीं मानते कि यह चुनाव ममता बनर्जी और प्रियंका टिबरेवाल के बीच है बल्कि यह लड़ाई सत्य और असत्य तथा हिंसा और अहिंसा के बीच लड़ी जानी है। बंगाल में कानून व्यवस्था की बदहाली को लेकर ममता सरकार पर हमला बोलते हुए संबित पात्रा ने कहा कि बंगाल में जितने बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारा गया। यह लोकतंत्र की हत्या है।
संबित पात्रा ने कहा कि जिस तरह से यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की बलि चढ़ाई गई, उससे हाई कोर्ट भी अचंभित हो गया। इसलिए कोर्ट ने सरकार पर गंभीर टिप्पणी करते हुए जांच सीबीआई को सौंपी है। उन्होंने कहा कि हिंसा में जिस मां और बहन ने अपने बेटे या पति को खोया है, वह आज भी दर्द से कराह रही हैं। उनके आंसुओं का हिसाब आज या कल जरूर होगा।
कोलकाता में भाजपा नेता अभिजीत सरकार की हत्या का जिक्र करते हुए संबित पात्रा ने पूछा कि आखिर सरकार इतनी निष्ठुर कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी मां-माटी और मानुष की बात करती है लेकिन मौत के 136 दिन बाद अभिजीत सरकार के शव को अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपा गया। उसका शव नर कंकाल हो चुका था। हम पूछना चाहते हैं कि आखिर ऐसी अमानवता क्यों?
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इसी तरह से मथुरापुर के भाजपा नेता मानस साहा की हत्या का भी जिक्र करते हुए संबित पात्रा ने कहा कि 02 मई को उन्हें इतना पीटा गया कि बुधवार को उन्होंने दम तोड़ दिया है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ। उन्होंने पूछा कि आखिर अभिजीत सरकार और मानस का क्या दोष था। वे इसी मिट्टी के संतान थे। पात्रा ने दावा किया कि चुनाव बाद बंगाल में 52 कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया है। भवानीपुर चुनाव में किसकी जीत होगी और किसकी हार होगी। यह जनता तय करेगी लेकिन जिस तरह से हिंसा में यहां लोगों को मौत के घाट उतारा गया है, वह मानवता और राष्ट्र को बचाने की लड़ाई है।