लखनऊ।
कोई व्यक्ति एक पक्ष को लेकर ही चल पाता है। अच्छा लेखक होता है वो अच्छा वक्ता नहीं हो पाता है, या कोई अच्छा कालाकार है तो अच्छा वक्ता या लेखक हो यह आवश्यक नहीं है। पर, इन सभी क्षेत्रों में पारंगत होने के बावजूद राष्ट्रभक्ति की भावना, अपनी मातृभूमि और अपनी मातृ भाषा के प्रति एक लगाव हो वो भाव भी उसमें कूट कूट कर भरा हो यह दुर्लभ ही देखने को मिलता है।
भारतेन्दु हरीशचन्द्र इन सभी विधाओं में पारंगत थे और इसलिये भारत के आधुनिक हिन्दी का पूरा एक युग उनके नाम पर है जिसे भारतेन्दु युग के नाम पर जाना जाता है। यह बात गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतेन्दु नाट्य अकादमी, विकास खण्ड-1 गोमतीनगर लखनऊ में कही। वे यहां पर आधुनिक हिन्दी खड़ी बोली के जनक भारतेन्दु हरीशचन्द्र की प्रतिमा के अनावरण अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिसर में भारतेन्दु हरीशचन्द्र जी की प्रदर्शनी देखी और उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण भी किया। उनके साथ उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक, आशुतोष टण्डन, पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी सहित भारतेन्दु नाट्य अकादमी के निदेशक रवि शंकर खरे और प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के हिन्दी भाषा एवं साहित्य में अतुलनीय एवं अविस्मरणीय योगदान के लिए उनको अपनी कृतज्ञता और श्रद्धासुमन अर्पित किये। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शृंखला में आज भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा 04 फरवरी, 2021 से 04 फरवरी, 2022 तक चौरी-चौरा शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतेन्दु नाट्य अकादमी के विद्यार्थियों एवं समस्त युवाओं से आह्वान किया कि वह भारतेन्दु जी के विचारों, आदर्शों से प्रेरणा लेकर देश व समाज के चतुर्दिक विकास तथा एक ‘समर्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में अपना सक्रिय योगदान दें। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी के लिए प्रखर राष्ट्रवाद की जरूरत थी, जिसके लिए भारतेंदु जी ने कार्य किया।
आज से एक शताब्दी पूर्व भारतेंदु जी ने राष्ट्रवाद को महसूस कर लिया था और भाषा मे उसका प्रभाव पैदा किया। जिसके बाद भारत गुलामी की जंजीरों को तोड़ने में कामयाब रहा। उनकी कृतियों और उनके नाटकों में ये देखने को मिलता है। उन्होंने भारतेंदु नाट्य अकादमी के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि ये एक अच्छा कार्य हुआ है। भवन तो बन गया था लेकिन ये कार्य भ्ज्ञी आवश्यक था। उन्होंने कहा कि उस महापुरुष के प्रति उत्तर प्रदेश शासन की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आज़ादी के लिए जिनके अंदर जज़्बा था उनके लिए हम क्या कर सकते हैं। हर विभाग को अपना योगदान देना होगा तभी आज़ादी का अमृत महोत्सव वर्ष सफल होगा। उन्होंने कहा कि अगर सभी विभाग अपने क्षेत्रों की विभूतियों को चिह्नित कर कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे तो अमृत महोत्सव सही मायने में भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि हम इस परम्परा को गरिमा व गौरव के साथ आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे। इससे पूर्व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने स्वागत भाषण में कहा कि जो साहित्य बंधकर रह गया था उसे परिमार्जित कर हिन्दी भाषा को समाज से जोड़ने के काम को भारतेन्दु हरीशचन्द्र ने किया। खड़ी बोली के इस जन्मदाता ने मूल हिन्दी से जो दूरी बनी थी उसे कम करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने साहित्य के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया था।
अकादमी के पूर्व 05 छात्रों को मुख्यमंत्री ने किया मंच पर सम्मानित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां भारतेन्दु नाट्य अकादमी से जुड़े पांच बड़े कलाकारों सम्मान भी किया। सम्मानित होने वालों में भारतेन्दु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक पद्मश्री राज बिसारिया, भारतेन्दु हरीशचन्द्र जी के प्रपौत्र दीपेश चौधरी, लेखक, अभिनेता हेमेन्द्र भाटिया, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पूर्व छात्र और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पूर्व छात्र और अभिनेता अतुल तिवारी रहे।
कलाकारों को मुख्यमंत्री जी ने सम्मान दिया
एक जमाने बाद भारतेन्दु नाट्य अकादमी में भारतेन्दु हरीशचन्द्र की प्रतिमा लग गई है। कलाकारों को मुख्यमंत्री जी ने सम्मान दिया है यह बहुत अच्छी पहल है। इस पहल से अकादमी एक संग होकर फिर काम करेगी। मुख्यमंत्री जी का साथ एक नई ऊर्जा पैदा करने का काम करेगी।
पद्मश्री राज बिसारिया, संस्थापक निदेशक, भारतेन्दु नाट्य अकादमी
इससे पहले कभी अकादमी में कोई मुख्यमंत्री नहीं आया
मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं, जिस संस्था की वजह से हम इस लायक हुए हैं। उस संस्था को बने 45 वर्ष हो गए हैं। इससे पहले यहां कोई मुख्यमंत्री नहीं आया। आज उस व्यक्ति के नाम पर प्रतिमा का अनावरण करके जिनके नाम पर अकादमी है बड़ा काम किया गया है। सभी कलाकारों का मुख्यमंत्री जी को इस कार्य के लिए आभार है।
अतुल तिवारी, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पूर्व छात्र और अभिनेता
अकादमी से 1975 से आज तक बना हुआ है मेरा जुड़ाव
भारतेन्दु नाट्य अकादमी 1974 भारतेन्दु नाटक केन्द्र के रूप में जानी जाती थी। प्रशिक्षण के रूप में 1975 में मैं यहां से जुड़ा। 1985 तक कार्यरत रहा। 1965-88 तक फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में एसटीटीआई पुणे से कार्य किया। मुझे हर साल अकादमी में क्लास लेने के लिए बुलाया जाता है। मेरा जुड़ाव इस अकादमी से आज तक बना हुआ है।
हेमेन्द्र भाटिया, लेखक, अभिनेता
मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित होना मेरे लिए बड़े गौरव की बात
मैं भारतेन्दु नाट्य अकादमी में डिप्लोमा के पहले बैच(1980 से 82) का छात्र हूं। यहीं की वजह से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली पहुंचा। वहीं से प्रोफेसर बनकर आया। इसी विद्यालय में निदेशक बना और तत्काल में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का निर्देशक बनने का सौभाग्य मिला है। मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित होना मेरे लिए बड़े गौरव की बात है।
प्रोफेसरी सुरेश शर्मा, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का निर्देशक
भारतेन्दु जी की 171वीं जयंती पर उनको पुन: अवतरण करने का हुआ काम
भारतेन्दु हरीशचंद्र जी की 171वीं जयंती पर उनको पुन: अवतरण करने का काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किया है। उन्होंने जो तीन बातें कहीं थी कि हमारी एक भाषा हो, भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय हो, देश में ही रोजगार करें, स्वदेशी का उपयोग करें। यह इस समय मोदी जी और योगी जी की सरकार में प्रासंगिक है।
दीपेश चौधरी, भारतेन्दु हरीशचन्द्र जी के प्रपौत्र