यूपी के मुजफ्फरनगर में रविवार को केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में महापंचायत होने होनी है। इस पर सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन ने नजर बनाई हुई है। 5 सितंबर को होने वाली महापंचायत पर निगरानी रखने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। 1 हजार से ज्यादा कर्मियों वाली पीएसी की 8 कंपनियों और मेरठ जिले के करीब 1 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। बताया जा रहा है कि जिस जगह महापंचायत रविवार को होने वाली है। उस क्षेत्र के आलावा शहर के अन्य क्षेत्रों में भी भारी सुरक्षाबल तैनात किया है।
पुलिस अधीक्षक (मुजफ्फरनगर) अभिषेक यादव ने बताया है कि, ;मुजफ्फरनगर के अतिरिक्त मेरठ, सहारनपुर,गाजियाबाद, शामली और बागपत जिलों के लगभग एक हजार पुलिसकर्मी 5 सितंबर को कार्यक्रम स्थल की तरफ जाने वाले राजमार्गों और लिंक रोड पर तैनात होंगे। महापंचायत के दौरान किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए डिजिटल कैमरों से लैस ड्रोन हर सेकंड घटना की लाइव तस्वीरें भेजेंगे। मुजफ्फरनगर के सभी चौराहों पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान संघ (बीकेयू) ने महापंचायत बुलाई है। जो मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित की जाएगी। आयोजकों ने दावा किया है कि रविवार को होने वाली महापंचायत में किसानों की यह सबसे बड़ी सभा होगी। इसमें पश्चिम बंगाल मॉडल को पुनर्जीवित करने की रणनीति तैयार करेंगे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में आगामी विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी किसान कर चुके हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार पर भारतीय किसान संघ के मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र मलिक ने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘सरकार उन 3 कठोर कृषि कानूनों के बारे में हमारी शिकायतें सुनने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र किसानों के लिए मौत की घंटी बजाने को तैयार हैं और सिर्फ कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ये कानून बनाए गए हैं। बीजेपी को उखाड़ फेंकने का अभियान शुरू करने का समय आ गया है, क्योंकि यहीं से बीजेपी ने केंद्र और राज्य में सांप्रदायिकता के बीज बोकर सत्ता हासिल की है।’
रविवार को होने वाली महापंचायत को सभी गैर-बीजेपी दलों ने अपना समर्थन दिया है। राष्ट्रीय लोक दल ने दावा किया है कि उसने मुजफ्फरनगर में 4 से 5 सितंबर तक 10 हजार किसानों के ठहरने की व्यवस्था की है।