लखनऊ। समस्या या संकट कोई हो, सुनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिना देर किए ग्राउंड जीरो पर होते हैं। फिर तो न उनको मौसम की फिक्र होती है, न खुद के सेहत और जोखिम की। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान उनकी इस कार्यशैली से हर कोई वाकिफ हुआ। अभी फिरोजाबाद समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की खबर सुनने के तुरंत बाद वह फिरोजाबाद में थे।

यह सिलसिला लगातार जारी है। पिछले कुछ दिनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई के कुछ जिले राप्ती, रोहिन, घाघरा, गंडक, बूढ़ी राप्ती आदि नदियों के बाढ़ से प्रभावित हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री बाढ़ की अद्यतन स्थित जानने के लिए आज से ग्राउंड जीरो पर बाढ़ पीड़ितों के बीच हैं। आज से शुरू उनका यह दौरा अगले तीन दिनों तक जारी रहेगा।
इस क्रम में वह शुक्रवार को बहराइच, गोंडा और बलरामपुर में हैं। दौरे के बाद बलरामपुर (देवीपाटन) में रात्रि विश्राम करेंगे। शनिवार को वह सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर और गोरखपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के मठ में रात्रि विश्राम के बाद रविवार को वह वाराणसी व आसपास के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। शुक्रवार के दौरे के दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सघन दौरा करने के साथ इससे प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उनसे उनकी छोटी-छोटी जरूरतों, राहत सामग्री और नावों की उपलब्धता के बारे में पूछा। भरोसा दिया कि हर परिस्थिति में सरकार उनके साथ खड़ी है। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत और बचाव कार्य में सरकार की मंशा के अनुसार कोई कमीं नहीं रहनी चाहिए। यहां तक कि पशुओं के चारे की क्या व्यवस्था है, इस बारे में भी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़, बाढ़ के दौरान और बाढ़ के बाद मनुष्य और पशु कुछ जलजनित और अन्य रोगों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। इन रोगों के रोकथाम के लिए प्रशासन स्वास्थ्य विभाग की ओर से व्यापक जागरूकता अभियान चलाए। प्रभावित इलाकों में चिकित्सकों की टीम लगातार कैम्प करे। इस दौरान सांप और कुत्ता काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। लिहाजा प्रभावित इलाकों के हर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एन्टी स्नेक वेनम और रेबीज के इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्तिच कराएं। पशुपालकों को पशुहानि न हो, इसके लिए बाढ़ उतरने के साथ ही खुरपका, मुंहपका और गलघोटू जैसी बीमारियों के रोकथाम के लिए अभियान चलाकर टीके लगाए जाएं।
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