साल 1984 के सिख विरोधी दंगे के दोषी सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। सज्जन कुमार को फिलहाल जेल में ही रहना होगा। सज्जन कुमार की अंतरिम ज़मानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है। सज्जन कुमार ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अंतरिम ज़मानत की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने बेहतर इलाज के लिए सज्जन कुमार को मेदांता हॉस्पिटल शिफ्ट करने की मांग भी खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सज्जन कुमार नहीं मिलेगी वीआईपी ट्रीटमेंट
जस्टिस संजय किशन कौल ने सज्जन कुमार के वकील रंजीत कुमार से कहा कि वो जघन्य अपराध में दोषी हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें किसी सुपर वीआईपी मरीज की तरह ट्रीटमेंट मिले। 24 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट इसके पहले कई मौकों पर सज्जन कुमार को जमानत पर रिहा करने से मना कर चुका है। चार सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 13 मई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये नरसंहार का मामला है। आप भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ये नरसंहार का मामला है। सज्जन दंगाइयों की भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
यह भी पढ़ें: गौ हत्या करने वालों पर चला योगी सरकार का चाबुक, हजारों अभियुक्तों पर कसा शिकंजा
दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने पूर्व नेवी अधिकारी भागमल के अलावा, कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा था। सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर कर दिया था ।