मेघालय की राजधानी शिलांग में उग्रवादी संगठन संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफील्ड थांगखिएव की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद शिलांग में हिंसा भड़क उठी है। उपद्रवी पूर्व विद्रोही नेता की हत्या के विरोध में हिंसक हो गए हैं। इसी क्रम में इस बार उपद्रवियों ने मुख्यमंत्री आवास को निशाना बनाया है।
शिलांग में हुई कई हिंसक घटनाएं
शिलांग में गत 10 अगस्त को एक आईईडी विस्फोट हुआ था, जिसमें दो महिला घायल हुईं थीं। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने इस घटना में एचएनएलसी के पूर्व महासचिव का हाथ होने की बात कही थी, जिसके आधार पर पुलिस शुक्रवार की रात को उसे पकड़ने के लिए उसके घर पहुंची थी। पुलिस का कहना है कि पुलिस को देख चेरिस्टरफील्ड भागने की कोशिश करते हुए पुलिस पर चाकू से हमला कर दिया। पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में चलायी गई गोली में उसकी मौत हो गयी।
ऊपरी शिलांग से तीन मील की दूर स्थित मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा के निजी आवास पर रविवार की रात करीब 10.30 बजे पेट्रोल बम फेंका गया। घर खाली होने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ। मुख्यमंत्री संगमा अपने सरकारी आवास में रहते हैं।
दूसरी ओर लूमडिय़ेंग्री पुलिस थाना, मावलाई थाना और मावलाई सीआरपीएफ कैंप में भी उपद्रवियों द्वारा पत्थरबाजी की घटनाएं हो चुकी हैं। एक अन्य घटना में लूमडियेंग्री में असम के एक वाहन पर भी उपद्रवियों द्वारा पत्थरबाजी किये जाने की जानकारी मिली है। पत्थरबाजी के दौरान वाहन का चालक गंभीर रूप से घायल हो गया।
शिलांग में दो दिन पहले ही हिंसक घटनाओं को देखते हुए शाम का कर्फ्यू लागू किया गया था, जबकि रविवार को फिर से पूरे शिलांग में हालात खराब होने और पुलिस की एक जिप्सी और उसमें सवार पुलिस कर्मियों के हथियार छीनकर इलाके में उपद्रवियों द्वारा लहराने तथा बाद में जिप्सी पुलिस अन्य एक स्कार्पियों में आग लगाने की घटना के बाद राज्य के चार जिलों में अगले 48 घंटे के लिए कर्फ्यू लगाया गया है। इंटरनेट और मोबाइल इंटरनेट भी 48 घंटे के लिए बंद कर दिया गया है।
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गौरतलब है कि पूर्व विद्रोही नेता की मौत से पैदा हुए हालात के कारण मेघालय के गृहमंत्री लहकमेन-रिम्बुई ने भी रविवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपना त्याग-पत्र मुख्यमंत्री संगमा को सौंप दिया है। साथ ही उन्होंने सरकार से इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के साथ ही न्यायिक जांच कराने का भी मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है। हालांकि, उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है या नहीं, यह अभी पता नहीं चल सका है।