ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन के मिश्रण के प्रभाव को जानने के लिए शोध को मंजूरी दे दी है। यह शोध वेल्लूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में होगा। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि दो अलग अलग वैक्सीन को लेकर शोध के लिए वेल्लोर के मेडिकल कॉलेज को अनुमति दी गई है।
बता दें कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 29 जुलाई को इस संबंध में शोध करने की सिफारिश की थी। इससे पहले आईसीएमआर ने भी 16 लोगों में दो अलग-अलग वैक्सीन के मिश्रण को लेकर एक अध्ययन किया था, जिसमें इसके बेहतर सुरक्षा देने की बात सामने आई है।
स्वतंत्रता दिवस पर कोरोना का टीका लगवा चुके बुजुर्गों का होगा सम्मान
इस शोध का क्या अर्थ है—
दो अलग अलग वैक्सीन के मिश्रण को लेकर कई महीनों से चर्चाएं चल रही हैं । आसान भाषा में समझें तो, अगर एक व्यक्ति टीके की पहली खुराक कोवैक्सीन का लेता है और दूसरी खुराक कोविशील्ड का लेता है, तो क्या दोनों के मिश्रण से उसे कोरोना से संक्रमण से बचाव संभव है ? और अगर संभव हो तो यह कितने प्रतिशत तक असरदार होगी? इसके साथ एक और सवाल का भी जवाब मिलेगा कि क्या ऐसा करने से इसके कोई साइड इफेक्ट्स तो नहीं होते। मौजूदा प्रोटोकॉल के मुताबिक जिन लोगों ने कोवैक्सीन लगवाई है, वो दूसरी डोज भी कोवैक्सीन ही लगवाते हैं।