ताइवान को लेकर भारतीय मीडिया पर दबाव बनाने की कोशिश करने के बाद अब चीन एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन करने में लगा है। चीन ने अब भारतीय सांसद को ईमेल भेजकर बड़ी चेतावनी दी है और ताइवान को लेकर दबाव बनाने की कोशिश की है। नई दिल्ली स्थित चीन के दूतावास ने बीजू जनता दल के राज्य सभा से सांसद सुजीत कुमार को 8 मई को एक मेल भेजकर कहा कि वो ताइवान के किसी कार्यक्रम में भाग न लें। सिर्फ इतना ही नहीं चीनी दूतावास के द्वारा सांसद को भेजे गए मेल के बहाने चीन ने अपने अहसान के तले दबाने का भी प्रयास किया है, इस ईमेल में चीन ने यह जताया कि कोरोना की दूसरी लहर में चीन कैसे भारत की मदद कर रहा है। कूटनीति के नाम पर दबाव बनाने के लिए कुख्यात चीन की तरफ से भेजे गए इस ईमेल में भी एम्बेसी के पार्लियामेंट मामलों के काउंसिलर ने इशारों- इशारों में कहा है कि वन चाइना पॉलिसी का भारत भी पालन करे।
चीनी दूतावास ने ईमेल में लिखकर दी चेतवानी
चीनी दूतावास की तरफ से भारतीय सांसद को जो मेल भेजा गया है उसमें लिखा है, ”हमें पता चला है कि आपने FORMOSA CLUB की फाउंडिंग सेरेमनी में हिस्सा लिया है जो कि चीनी पॉलिसी का पालन करने के भारत सरकार के संकल्प के बिल्कुल विपरीत कदम था। चीन क्रॉस स्ट्रेट्स रिलेशन के शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देना जारी रखेगा लेकिन ताइवान के साथ आधिकारिक तौर पर किसी भी बातचीत का विरोध करता है। चीन उन देशों में से एक है, जो भारत को कोविड -19 की दूसरी लहर से लड़ने में मदद करने के लिए, सबसे पहले मदद और समर्थन की पेशकश करता है और तेजी से एक्शन लेता है। अब तक चीन ने भारत को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और अन्य जरूरी चीजें सप्लाई की हैं। चीन आगे भी ऐसे ही भारत को मदद पहुंचाता रहेगा। आपसे आग्रह है कि आप FORMOSA CLUB से खुद का नाम वापस ले लें ताकी चीन और भारत के बीच महत्वपूर्ण संबंधों को नुकसान न हो और वो आगे भी एक दूसरे को ऐसे ही मदद पहुंचाते रहें।”
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चीन ने ये हरकत पहली बार नहीं की है, इससे पहले ताइवान को लेकर भारतीय मीडिया की सकारात्मक कवरेज पर भी चीन ने देश के लगभग सभी मीडिया संस्थानों को धमकाने की कोशिश की थी। चीन के उस कदम की काफी आलोचना भी हुई थी। लेकिन इससे सबक लेने के बजाय चीन ने सीधे भारतीय सांसद पर दबाव बनाने की कोशिश की। बता दें कि राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने ताइवान के विदेश मंत्रालय के एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया था। ताइवान सरकार ने उस बैठक को FORMOSA CLUB का नाम दिया है जिसमें इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। हालांकि ताइवान को लेकर चीन की ऐसी प्रतिक्रिया कोई नई बात नहीं है लेकिन डिप्लोमेसी के जानकारों का कहना है कि अगर चीन दूतावास को किसी बात को लेकर कोई आपत्ति भी है तो उसे भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने रखनी चाहिए न कि सीधे किसी सांसद को अप्रत्यक्ष तौर पर धमकाने की कोशिश करनी चाहिए।