इंडियन पब्लिक सर्विस एंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने नाराजगी व्यक्त किया है कि देश में लगभग तीन लाख नर्सेज पैरामेडिकल कर्मी डिग्री/डिप्लोमा प्रशिक्षण प्राप्त करके नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री उन्हें नियुक्त ना करके पढ़ाई कर रहे डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल छात्रों को कोरोना के इलाज में लगने का निर्णय अविवेकपूर्ण है। इप्सेफ लगातार प्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर मांग करता आ रहा है कि डिग्री/डिप्लोमा होल्डर नर्सेज एवं पैरामेडिकल स्टाफ को रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाए। जहां पर नए मेडिकल कॉलेजों /अस्पतालों/ संस्थानों में पड़ सृजित कर के नियमित भर्ती की जाए परंतु राज्य सरकारें आउटसोर्सिंग, संविदा पर रखकर अस्पताल चलाए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में अनुभवी डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ न रहने के कारण मरीजों की मौत हो रही है।
इप्सेफ ने दी चेतावनी
इप्सेफ ने राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के द्वारा शासनादेश जारी करने के बाद भी उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्य सरकारों द्वारा आदेश जारी नहीं किया गया है जिससे सैकड़ों की तादात में नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन,प्रयोगशाला सहायक,फीजियोथेरेपिस्ट, एक्सरे टेक्नीशियन ,वार्ड बॉय ,सफाई कर्मचारी तथा अन्य टेक्नीशियन की मृत्यु पर मृतक आश्रितों के परिवार को ₹50 लाख की आर्थिक सहायता नहीं मिली है। मृतक आश्रित नियुक्ति एवं अन्य देयको का भुगतान नहीं किया गया है। उनके स्वयं के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है और न दवा ऑक्सीजन मिल रही है। स्थानीय निकायों के कर्मचारी भी सुविधा से वंचित हैं।
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इप्सेफ ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र एवं राज्य सरकारें मृतक आश्रित के परिवार को मई माह के अंत तक भुगतान नहीं करेंगी तो इप्सेफ को आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। जिसमें कामबन्दी भी शामिल है। इसका पूर्ण उत्तरदायित्व केंद्र एवं राज्य सरकारों का होगा।