पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में जल रही सियासी आग ने एक बार फिर बीजेपी के एक कार्यकर्ता के घर में अंधेरा कर दिया है। दरअसल, बीते मंगलवार को दिन बंगाल में बीजेपी के एक कार्यकर्ता को दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया है। इस कार्यकर्ता की पहचान अशोक सरकार के रूप में हुई है। वह मूल रूप से नारायणपुर जिले का निवासी था।
सरदार की मौत एक लिए तृणमूल जिम्मेदार
मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले के मध्यमग्राम में उस वक्त घटी जब अशोक सरदार राजबरी इलाके में कुछ काम कर रहे थे। उसी वक्त कुछ अज्ञात बदमाशों ने उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, गोली उनके सीने और पैर में लगी। स्थानीय लोगों ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने बीजेपी कार्यकर्ता को मृत घोषित कर दिया।
अशोक सरदार के घरवालों ने इस हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उनके बेटे सरदार के बेटे ललतू का कहना है कि उनके पिता की हत्या इसलिए की गई है क्योंकि उनका परिवार बीजेपी का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की योजनाबद्ध तरीके से हत्या की गई है। उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते मारा गया है। इस हत्या के पीछे स्थानीय तृणमूल समर्थकों का हाथ है।
हालांकि, तृणमूल ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। मृतक सरदार का शव बाद में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया था।
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इस घटना को लेकर पश्चिम बंगाल बीजेपी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि भाजपा कार्यकर्ता अशोक सरकार की टीएमसी के गुंडों ने कोलकाता से 15 किमी दूर मध्यमग्राम में गोली मारकर हत्या कर दी है। राजनीतिक कार्यकर्ता की ये हत्या दिन दहाड़े की गई है, वो भी शहर के दिल कहे जाने वाले स्थान पर, इससे राइट-थिकिंग वाले बंगालियों को डरना चाहिए। क्या हम हिंसा की संस्कृति चाहते हैं? टीएमसी बंगाल के लिए शर्मनाक है।
एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग दोहराई है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों को राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।
बंगाल के प्रभारी बनाए गए बीजेपी महासचिव विजयवर्गीय ने कहा कि पुलिस ने राजनीतिक हत्याओं को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया है। यहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा कार्यकर्ताओं को धमकाती है, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता डरने वाले नहीं हैं। मुझे लगता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए। लेकिन ये केंद्र पर निर्भर करता है। राज्यपाल ने भी चिंता व्यक्त की है। यहां अनुच्छेद 356 को लागू करने के लिए स्थिति उपयुक्त है।