पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी एक नई मुसीबत में फंसते नजर आ रहे है। दरअसल, त्रिपुरा पुलिस ने अभिषेक बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के 5 सांसदों और एक पार्टी नेता के खिलाफ कड़ा कदम कदम उठाया है। पुलिस ने कथित तौर पर पुलिस ड्यूटी में बाधा डालने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।

तृणमूल सांसदों पर त्रिपुरा पुलिस ने लगाए गंभीर आरोप
मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस ने अभिषेक बनर्जी, सांसद डोला सेन, मंत्री ब्रत्य बसु, कुणाल घोष, सुबल भौमिक और त्रिपुरा तृणमूल नेता प्रकाश दास के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन दिग्गजों पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस के सामने अपनी अवैध मांग रखी। इन सभी लोगों ने टीएमसी के गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के खिलाफ धाराओं में बदलाव करने को कहा। इसके साथ ही पुलिस के साथ गलत व्यवहार भी किया।
बीते 7 अगस्त को कथित तौर पर तृणमूल कार्यकर्ता सुदीप राहा, देबांग्शु भट्टाचार्य और जया दत्ता पर जनता ने हमला कर दिया था, यह हमला उस वक्त हुआ था जब वे वर्ष 2023 विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से उत्तर-पूर्वी राज्य का दौरा कर रहे थे। इस दौरान त्रिपुरा पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था, जिसमें सुदीप राहा, देबांग्शु भट्टाचार्य और जया दत्ता भी शामिल थे। इन सभी पर कोरोना नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। हालानाकी बाद में इन सभी नेताओं को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
इस दौरान तृणमूल सांसद अभिषेक, ब्रत्य बसु, डोला सेन अन्य के साथ स्थिति का आंकलन करने के लिए त्रिपुरा पहुंचे। इस दौरान उन्हें बताया गया कि उनकी मांगे अवैध हैं और उन्हें पूरा नहीं किया जा सकता। इस वजह से तृणमूल के इन दिग्गजों ने त्रिपुरा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए।
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बताया जा रहा है कि तृणमूल नेताओं ने कथित तौर पर अतिरिक्त एसपी खोवाई और एसडीपीओ खोवाई के साथ दुर्व्यवहार किया और ओसी के कक्ष में चिल्लाना शुरू कर दिया और यह भी कहा कि सभी पुलिसकर्मी बीजेपी के दलाल हैं। उन्होंने कथित तौर पर एक घंटे से अधिक समय तक पुलिस ड्यूटी को बाधित किया। इस वजह से पुलिस गिरफ्तार किए गए लोगों को समय पर अदालत के समक्ष पेश करने में असमर्थ रही।
बयान में यह भी कहा गया कि थाने के सामने टीएमसी समर्थकों और पत्रकारों की भारी भीड़ थी। पर्याप्त बल और महिला पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति के बावजूद, पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना या संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए बल प्रयोग नहीं किया।
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