बिहार के मुख्मयंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 11 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने जा रहा है। इस दौरान ये नेता केंद्र के सामने अन्य पिछड़ा वर्ग की गणना के लिए जाति जनगणना की मांग करेंगे। इन नेताओं में सीएम कुमार के विरोधी तेजस्वी यादव और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रतिनिधि का भी नाम शामिल है। अब उत्तर प्रदेश चुनाव से 6 महीने पहले ही इस बात पर फैसले लेना मोदी सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है।
पार्टी ने 14 साल के लंबे इंतजार के बाद 2017 में ओबीसी समर्थन से ही देश के सबसे बड़े राज्य में सरकार बनाई थी। वहीं पार्टी राज्य के अपने सवर्ण जनाधार के लिए भी प्रतिबद्ध है। खासतौर से तब जब 2021 के चुनाव में राम मंदिर के बड़े चुनावी भूमिका के आसार हैं। इसे देखते हुए समाजवादी पार्टी के अखिलेश ने भी अपना जोर लगाना तेज कर दिया है।
संसद में यादव इस मुद्दे पर खुलकर बोल रहे हैं। वहीं सपा ने यूपी में एक अफवाह फैला रखी है कि ‘हम तो किसी गिनती में आते ही नहीं हैं।’ ऐसा कर यादव सपा की तरफ गैर-यादव वोट को आकर्षित करने में लगे हुए हैं। साथ ही उन्होंने वादा किया है कि अगर वे अगले साल सत्ता में वापस आते हैं, तो यूपी में जाति जनगणना के आदेश दिए जाएंगे। इसके चलते कई राजनीतिक दलों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार यूपी चुनाव को देखते हुए विपक्षी दल को कमजोर करने के लिए यह ‘घोषणा’ कर सकती है कि वे ‘भविष्य में’ जाति जनगणना का आयोजन करेंगे।
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संसद में यादव इस मुद्दे पर खुलकर बोल रहे हैं। वहीं, सपा ने यूपी में एक अफवाह फैला रखी है कि ‘हम तो किसी गिनती में आते ही नहीं हैं।’ ऐसा कर यादव सपा की तरफ गैर-यादव वोट को आकर्षित करने में गलगे हुए हैं। साथ ही उन्होंने वादा किया है कि अगर वे अगले साल सत्ता में वापस आते हैं, तो यूपी में जाति जनगणना के आदेश दिए जाएंगे। इसके चलते कई राजनीतिक दलों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार यूपी चुनाव को देखते हुए विपक्षी दल को कमजोर करने के लिए यह ‘घोषणा’ कर सकती है कि वे ‘भविष्य में’ जाति जनगणना का आयोजन करेंगे।