कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने दुनियाभर के देशों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं के मुताबिक डेल्टा की कांटैक्ट ट्रेसिंग में घर के सभी यानि 100 फीसदी लोग संक्रमित मिले। जोकि काफी चिंताजनक है। वहीं एक एक साल पहले यह सिर्फ 30 फीसदी था।
न्यू साउथ वेल्स के शोध में बताया गया है कि कोरोना का शुरुआती वेरिएंट जहां संपर्क में आने के छह दिन बाद लोगों को संक्रमित करता था। वहीं डेल्टा संपर्क में आने के सिर्फ चार दिन में ही व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। इसके चलते ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।
वहीं ग्रेटर सिडनी में 26 जून को लॉकडाउन शुरू हुआ और तकरीबन एक महीने बाद न्यू साउथ वेल्स में कोविड-19 के एक दिन में करीब 100 नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं। वायरस पूर्वी उपनगरों से बाहर भी फैल रहा है। इसके बाद यह संक्रमण न्यू साउथ वेल्स से विक्टोरिया तक फैला जिससे दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के बाद वहां भी लॉकडाउन लगाना पड़ा।
सभी स्वरूपों में सबसे अधिक संक्रामक
डेल्टा अब तक पता चले सभी स्वरूपों में सबसे अधिक संक्रामक है। कोरोना वायरस के मूल वुहान स्वरूप की जगह मार्च 2020 तक अधिक संक्रामक डी614जी स्वरूप ने ली और यह स्वरूप विक्टोरिया में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। इसके बाद सितंबर में ब्रिटेन में अल्फा स्वरूप सामने आया तथा यह और अधिक संक्रामक था। अल्फा 2021 की शुरुआत तक दुनियाभर में फैलता दिखा लेकिन फिर डेल्टा स्वरूप आ गया। यह स्वरूप उत्परिवर्ती है जो इसे अल्फा से कहीं अधिक संक्रामक बनाता है और इसे टीकों से मिली प्रतिरक्षा से बचाने में सक्षम बनाता है।
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मौत होने का खतरा दोगुना
एक अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा स्वरूप से अस्पताल, आईसीयू में भर्ती होने और मौत होने का खतरा दोगुना है। इसलिए न्यू साउथ वेल्स की जांच और संपर्क में आए लोगों का पता लगाने की रणनीति डेल्टा के खिलाफ काम नहीं आयी।