भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ की सरोजनी नगर सीट पर इस बार बड़ा बदलाव कर दिया है। पार्टी ने मौजूदा मंत्री और विधायक स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर को दे दिया है। स्वाति लंबे समय से इस सीट पर तैयारी कर रहीं थीं। उन्होंने खुद के लिए घर-घर जाकर प्रचार भी शुरू कर दिया था।
अब सवाल उठता है कि आखिर स्वाति सिंह का टिकट कटा क्यों? इसके सियासी मायने क्या हैं? क्या स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के बीच कोई विवाद चल रहा है? अगर हां तो वह कौन सा विवाद है? अब आगे क्या होगा? ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए ये खास रिपोर्ट…
कौन हैं स्वाति सिंह, कैसे चर्चा में आईं थीं?
स्वाति सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। उनके पास महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्रालय की जिम्मेदारी है। स्वाति के पति दयाशंकर सिंह खुद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। ये तो दोनों की अभी की पहचान है। अब थोड़ा पीछे चलते हैं।
बात जुलाई 2016 की है। दयाशंकर सिंह भाजपा के नेता थे और बलिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, जबकि स्वाति गृहिणी थीं। उस वक्त राजनीति से उनका सिर्फ यही नाता था कि उनके पति सक्रिय राजनीति में थे। खैर… उन दिनों दयाशंकर सिंह अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा करते थे। एक ऐसा ही विवादित बयान उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को लेकर दे दिया था। फिर क्या… पूरे राज्य में बसपा ने इसको लेकर हंगामा शुरू कर दिया। दयाशंकर के खिलाफ मुकदमा हुआ। बसपा के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे। बसपा नेताओं के भी बयान आने लगा।
उस दौरान बसपा के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी लखनऊ के हजरतगंज में दयाशंकर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान मंच से दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह और उनके बच्चों के लिए अभद्र नारे लगाए गए। यहीं से सारा खेल पलट गया। जो बसपा मायावती के खिलाफ अभद्र टिप्पणी पर भाजपा को घेरने में जुटी थी, वही बसपा अब भाजपा के निशाने पर आ गई।
फिर भाजपा ने बयान को भुनाया और स्वाति को मिल गई कमान
मायावती पर दिए बयान के चलते दयाशंकर सिंह को जेल जाना पड़ा। उधर, स्वाति सिंह ने बसपा कार्यकर्ताओं के अभद्र नारे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वह हर रोज मीडिया से रूबरू होने लगीं। उन्होंने मायावती से नसीमुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। धरना प्रदर्शन किया। भाजपा ने इस मुद्दे को अपने पाले में कर लिया और स्वाति सिंह को सरोजनी नगर से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। स्वाति जीत भी गईं। योगी सरकार में उन्हें राज्य मंत्री बनाकर पार्टी ने तोहफा दे दिया।
पति और पत्नी के बीच क्या है विवाद?
दरअसल, दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच लंबे समय से विवाद बताया जा रहा है। स्वाति का एक पुराना ऑडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह अपने पति पर मारपीट का आरोप लगा रहीं थीं। हालांकि, खुलकर कभी भी स्वाति ने इस बात को नहीं कबूला है। बुधवार को उन्होंने इसका खंडन भी किया। चर्चा है कि दोनों यहां से टिकट मांग रहे ते। साथ ही एक-दूसरे को टिकट दिए जाने का विरोध भी कर रहे थे। यही कारण है कि पार्टी ने पति और पत्नी के बीच चल रहे विवाद का फायदा पूर्व आईपीएस राजेश्वर सिंह को दे दिया।
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टिकट कटने के बाद स्वाति और उनके पति ने क्या बोला?
मंगलवार को भाजपा ने लखनऊ के सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषण की। इसमें सरोजनी नगर से स्वाति सिंह की जगह पूर्व आईपीएस राजेश्वर सिंह को टिकट दे दिया गया। इसके बाद सबसे पहले दयाशंकर सिंह का बयान सामने आया। उन्होंने ट्ववीट कर पार्टी के इस फैसले पर खुशी जाहिर की। लिखा, ‘उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 हेतु लखनऊ सहित अन्य जगह के लिए बीजेपी की लिस्ट जारी हुईं। सभी को बहुत बहुत बधाई।’ न्यूज चैनल से बातचीत में भी दयाशंकर ने कहा कि वह पार्टी के सभी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे।
उधर, आज यानी बुधवार को मंत्री स्वाति सिंह मीडिया के सामने आईं। उन्होंने खुलकर हर सवालों का जवाब दिया। बोलीं, ‘मैं भाजपा छोड़कर कहीं नहीं जा रही हूं। आजीवन भाजपा में ही रहूंगी। मेरे रोम-रोम में भाजपा है। मैं यहीं यूं और यहीं रहूंगी, यहीं मरूंगी।’ स्वाति ने पति के साथ विवादों की खबर का भी खंडन किया। कहा कि उनका पति दयाशंकर सिंह के साथ कोई विवाद नहीं है।
अब आगे क्या?
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पार्टी के बड़े नेता अब पति और पत्नी के बीच चल रहे विवाद को शांत करने के लिए जुटे हुए हैं। दोनों के बीच समझौता कराया जाएगा। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दोनों से यह कहा गया है कि वह भाजपा के लिए खुलकर प्रचार करें। सरकार बनने के बाद दोनों को उचित सम्मान दिया जाएगा।