उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने बुधवार को खाद्य पदार्थों में छेड़छाड़ और मिलावट की खबरों के बाद पूरे राज्य में खाद्य सुरक्षा को कड़ा करने के निर्देश जारी किए, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है और अशांति फैल रही है। होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा मालिकों को सभी कर्मचारियों का सत्यापन करने और स्वच्छ भोजन तैयार करने के लिए अपने रसोई घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया गया है।
स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ काम कर रही स्थानीय पुलिस को खाद्य प्रतिष्ठानों का आकस्मिक निरीक्षण करने का काम सौंपा गया है।
इसके अलावा, स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) को स्ट्रीट फूड विक्रेताओं पर नज़र रखने और बिक्री के लिए रखे गए खाद्य या पेय के साथ छेड़छाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ BNS धारा 274 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा गया है। अगर कोई व्यक्ति खाने में थूकता हुआ या धर्म, जाति या भाषा के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी भड़काता हुआ पाया जाता है, तो धारा 196 (1) और 299 के तहत आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, मांस परोसने वाले ढाबों, होटलों और रेस्तरां को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि यह हलाल है या झटका।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किया डीजीपी का समर्थन
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर शेयर करके डीजीपी के निर्देशों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इस तरह के कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और विश्वास की रक्षा की जानी चाहिए, और हम सुनिश्चित करेंगे कि जिम्मेदार लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ें। एक समाचार पत्र से बात करते हुए सीएम ने कहा कि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है और इसकी प्रतिष्ठा भरोसे पर बनी है। इस तरह की घटनाएं लोगों के भरोसे को नुकसान पहुंचाती हैं और हम उन्हें जारी नहीं रहने देंगे।
यह भी पढ़ें: बहराइच हिंसा: राम गोपाल की हत्या में शामिल तीन आरोपी गिरफ्तार, भागना चाहते थे नेपाल
उल्लंघन करने वालों पर लगेगा 50 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना
धामी के आदेशों के बाद, स्वास्थ्य सचिव और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने उल्लंघन करने वालों के लिए 25,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने की रूपरेखा तैयार करते हुए एक विस्तृत एसओपी जारी किया। कुमार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में खाद्य और पेय पदार्थों में अस्वास्थ्यकर पदार्थों के साथ हाल ही में सामने आए संदूषण के मामलों का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि खाद्य व्यवसायों को स्वच्छता मानकों का पालन करना चाहिए और खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार लाइसेंस प्राप्त करना चाहिए।