कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिस कानून के तहत लोकसभा से अयोग्य घोषित किए गए हैं उस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951के सेक्शन 8(3) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के जरिये चुनौती दी गई है. केरल की सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन याचिका दायर कर इस कानून को चुनौती दी है.इस कानून के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को दो साल या दो साल से अधिक की सज़ा होती है तो फैसले वाले दिन ही सदस्यता के लिए अयोग्य करार हो जाएगा और वो जेल से रिहा होने के बाद वो 6 साल तक अयोग्य ही रहेगा यानि चुनाव नही लड़ पायेगा.
बता दें कि गुरुवार को गुजरात में सूरत की एक स्थानीय कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम से जुड़े एक मानिहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी. इसके अगले ही दिन शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया. राहुल गांधी के संसद से अयोग्य घोषित होते ही कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल बीजेपी को घेर रहे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आज कहा कि राष्ट्रीय दल हमेशा क्षेत्रीय दलों का अपमान करते हैं.पहले यह कांग्रेस ने किया और अब भाजपा यह करती है. यह उनके (कांग्रेस) के लिए एक मौका है, वे क्षेत्रीय दल को आगे रखें और फिर चुनाव लड़ें तभी वे भाजपा के खिलाफ जीत सकते हैं. यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है.
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राहुल गांधी के पास अब क्या है विकल्प
कानून के जानकारों के मुताबिक मानहानि मामले में अपीलीय अदालत द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाए जाने की सूरत में उनके पास सांसद का अपना दर्जा बहाल करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष का रुख करने का अधिकार है. वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को चुनाव आयोग के हरकत में आने और केरल की वायनाड सीट पर लोकसभा उपचुनाव की घोषणा करने से पहले अपनी लोकसभा सदस्यता को बहाल किए जाने के लिए दोषसिद्धि एवं सजा के निलंबन के वास्ते तेजी से ऊपरी अदालत का रुख करना होगा. सिंह ने कहा, “अगर दोषसिद्धि पर रोक लगती है, तो राहुल की सदस्यता फिर से बहाल की जा सकती है. उन्हें तुरंत अपीलीय अदालत का रुख करना होगा. अगर राहुल की सजा पर रोक लग जाती है, तो उनकी सीट पर उपचुनाव नहीं होगा.