बंगाल में पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल, बारूद के ढेर और मौतों का सिलसिला

बंगाल में हर माह किसी न किसी जिले में बम धमाके होते रहते हैं। ये धमाके देसी बमों के होते हैं। जिसमें लोगों की जानें भी जाती हैं। इसके बाद अक्सर ही यह सवाल उठता रहता है कि क्या बंगाल बारूद के ढेर पर बैठा है? क्योंकि कभी बम बनाते समय धमाका होता है तो कभी जान लेने के लिए बम फेंके जाते हैं तो कभी कचरे के ढेर, झाड़ियों और परित्यक्त मकानों में बम मिलते हैं। परंतु बुधवार की सुबह एक घर में रखे बारूद में ऐसा धमाका हुआ कि तीन लोगों की जान चली गई। ऐसा नहीं है कि अवैध पटाखा फैक्ट्री या गोदाम में पहली बार ऐसी घटना हुई है। अगर सिर्फ पिछले पांच-छह सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में तीस से अधिक जानें अवैध पटाखे फैक्ट्री की वजह से जा चुकी हैं।

मई, 2015 में तो पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पिंगला इलाके में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 11 लोगों की मौत हो गई थी और सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद दक्षिण व उत्तर 24 परगना जिले में भी अवैध पटाखा फैक्ट्री में कई बार धमाके व आग लगे जिसमें कई मारे गए।

पिछले वर्ष जनवरी में उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से चार लोगों की जान चली गई थी। इतनी मौत होने के बावजूद भी पुलिस प्रशासन की ओर से इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। वह भी पिछले दो साल से दिवाली व कालीपूजा में पटाखे पर रोक है। फिर भी बारूद का यह कारोबार जारी है। यदि पुलिस प्रशासन सतर्क और चौकस होता तो क्या इस तरह से लोगों की जानें जातीं? कभी नहीं। बुधवार की सुबह दक्षिण 24 परगना जिले के नोदाखाली थाना क्षेत्र में स्थित एक अवैध पटाखा फैक्ट्री व गोदाम में धमाका हो गया जिसकी चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। मृतकों में घर के मालिक असिम मंडल और उनके दो रिश्तेदार शामिल हैं।

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अवैध पटाखा निर्माण इकाई वाले मकान की छत का एक हिस्सा विस्फोट के बाद ध्वस्त हो गया। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सामान्य पटाखे के विस्फोट होने से ऐसी घटना हो सकती है? फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। फोरेंसिक टीम मौके की जांच करेगी। आखिर कैसे धमाका हुआ इसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए, क्योंकि इसी तरह का विस्फोट बर्धमान के खागड़ागढ़ में भी हुआ था। उसके बाद क्या हुआ सबको पता है।