पीएम मोदी शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर हैं। इस दौरान वह तमाम परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इसी कड़ी में वह तय कार्यक्रम के तहत सुबह दस बजे लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर पहुंचे। यहां से हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत हर-हर महादेव से की। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि समिट काशी में हो रही है। काशी नगरी वो शाश्वत धारा है जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों औऱ परिश्रम की साक्षी रही है। काशी इस बात की गवाही देती है कि चुनौती चाहे कितनी बड़ी हो जब सबका प्रयास होता है तो नया रास्ता निकलता है। मुझे विश्वाह है कि टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ हमारे वैश्विक संकल्प को काशी एक नई ऊर्जा देगी।
‘टीबी के खिलाफ लड़ाई में जन भागीदारी ने किया बड़ा काम’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ समय पहले ही भारत ने वन अर्थ वन हेल्थ के विजन को भी आगे बढ़ाने की पहल की है। और अब, ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ के जरिए भारत, ग्लोबल गुड के एक और संकल्प को पूरा कर रहा है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जन भागीदारी का बड़ा काम किया है। भारत ने एक यूनिक अभियान चलाया ये विदेश से आए लोगों के लिए काफी दिलचस्प होगा। हमने टीबी मुक्त अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से निक्षय मित्र बनाने का आह्वान किया। इस अभियान के साथ तकरीबन 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया। हमारे देश में 10-12 साल के बच्चे भी निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। कितने ही बच्चों ने अपनी पीगी बैंक तोड़कर टीबी मरीजों को गोद लिया है। निक्षय मित्रों का टीबी मित्रों के लिए सहयोग एक हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गया है। विदेशों ने रहने वाले प्रवासी भारतीय भी इस प्रयास का हिस्सा बने हैं।
2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा भारत
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया, वो वाकई अभूतपूर्व है। भारत के ये प्रयास पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है। टीबी मरीजों के पोषण के लिए 2018 में डीबीटी के माध्यम से 2000 करोड़ रुपए उनके खाते में भेजे गए और इससे 75 लाख मरीजों को लाभ पहुंचा। कई भी इलाज से न छूटे इसके लिए नई रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया गया है। मरीजों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ा जा रहा है और लैब की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। तमाम प्रयासों के चलते ही कर्नाटक और जम्मू कश्मीर राज्य को टीबी मुक्त करने के लिए पुरस्कार भी दिया गया है। विश्व ने 2030 तक टीबी मुक्त होने का संकल्प लिया है लेकिन भारत ने 2025 तक टीबी मुक्त होने का संकल्प लिया है। आज टीबी की 80 फीसदी दवाओं का निर्माण भारत में ही होता है।
काशी को देंगे 1780 करोड़ की सौगात
एयरपोर्ट पर पीएम मोदी की अगवानी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ ने की। इसी के साथ वहां पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सह संगठन मंत्री सुनील ओझा, मछलीशहर सांसद बी पी सरोज, आयुक्त कौशल राज शर्मा समेत अन्य लोग मौजूद रहें। आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित जिस अंतरराष्ट्रीय टीबी कांफ्रेंस का शुभारंभ पीएम मोदी करेंगे वह तीन दिनों तक चलेगी। यहां एक घंटे तक कार्यक्रम में रहने के बाद पीएम मोदी संस्कृत विश्वविद्यालय जाएगे और वहां जनसभा में चुनिंदा खिलाड़ियों और एक दर्जन लाभार्थियों से संवाद करेंगे। इसी के साथ रिमोट दबाकर 1780 करोड़ की सौगात काशी को दी जाएगी।
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चाक-चौबंद नजर आई सुरक्षा व्यवस्था
पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर वाराणसी में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौक चौबंद नजर आई। इस बीच पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहें। पीएम के आगमन से पहले ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी तमाम तैयारियों का जायजा वहां पर लिया। इसी के साथ उनके द्वारा अधिकारियों से संवाद भी किया गया। पीएम जिस दौरान वाराणसी में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो उससे पहले सड़क के दोनों ओर वाराणसी की जनता ने उनका अभिवादन भी किया।